नई दिल्ली: नेपाल द्वारा जारी किए गए नए 100 रुपये के नोट पर भारत के विवादित क्षेत्रों लिपुलेख, लिंपियाधुरा और कालापानी को अपने क्षेत्र के रूप में दर्शाए जाने से भारत और नेपाल के बीच तनाव बढ़ गया है। नेपाल ने इस नोट की छपाई का काम चीन की कंपनी चाइना बैंकनोट प्रिंटिंग एंड मिंटिंग कॉर्पोरेशन को सौंपा है।
विवादित क्षेत्रों पर नेपाल का दावा:
नेपाल ने 2020 में संविधान संशोधन के जरिये लिंपियाधरा, लिपुलेख और कालापानी को अपना हिस्सा बताते हुए नया नक्शा जारी किया था। नेपाल का दावा है कि ये क्षेत्र सुगौली संधि के अनुसार नेपाल का हिस्सा हैं।
भारत का पक्ष:
भारत का कहना है कि ये क्षेत्र सदियों से भारत के अधीन रहे हैं और इन पर भारत का पूर्ण नियंत्रण है। यहां रहने वाले लोग भारतीय नागरिक हैं, भारत में कर चुकाते हैं और मतदान भी करते हैं। लिपुलेख दर्रा उत्तराखंड को तिब्बत से जोड़ता है और रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है।
चीन का रोल:
नेपाल द्वारा चीन की कंपनी को नोट छापने का काम सौंपे जाने से यह संदेह पैदा हो रहा है कि चीन इस विवाद में नेपाल को समर्थन दे रहा है। चीन का तिब्बत पर दावा है और वह भारत को घेरने की कोशिश में लगा हुआ है।
विवाद के परिणाम:
इस विवाद से भारत और नेपाल के बीच संबंधों में खटास आ सकती है। यह क्षेत्रीय स्थिरता के लिए भी खतरा है।
क्या हैं ये विवादित क्षेत्र:
* लिपुलेख: पश्चिमी तिब्बत के नगारी क्षेत्र के पास स्थित है। यह उत्तराखंड को तिब्बत से जोड़ता है।
* लिंपियाधुरा: तिब्बत की नगारी सीमा के पास भारत से सटा हुआ है।
* कालापानी: दक्षिण एशियाई कूटनीति में रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है। यह भारत, तिब्बत और नेपाल के बीच त्रिकोणीय जंक्शन पर है।
नेपाल का विवादित नक्शा: 100 रुपये के नोट में भारत के हिस्से को दर्शाया अपना
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