धर्मार्थ कार्यक्रमों से वर्चुअल रूप से जुड़े श्रद्धालु भक्त:- साध्वी गौरंगी गौरी
हरिद्वार। पुरुषार्थ आश्रम के अध्यक्ष महामनीषी निरंजन स्वामी महाराज ने कहा है कि श्रीमद् भागवत कथा भवसागर की वैतरणी है। जो व्यक्ति के कल्याण का मार्ग प्रशस्त करती है। कथा श्रवण मात्र से व्यक्ति का जीवन भवसागर से पार हो जाता है। और कलयुग में ईश्वर प्राप्ति का सर्वोत्तम साधन भगवान और भक्त की यह कथा है। जिसका श्रवण और पठन दोनों ही व्यक्ति के लिए सर्वदा हितकारी है। भूपतवाला स्थित पुरुषार्थ आश्रम सेवा ट्रस्ट में श्रद्धालु भक्तों ने पश्चिम बंगाल के झाड़ग्राम में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय कथावाचक साध्वी गौरंगी गौरी के श्रीमुख से श्रीमद् भागवत कथा का श्रवण वर्चुअल रूप से किया। इस दौरान श्रद्धालु भक्तों ने सभी से धर्मार्थ कार्यक्रमों में वर्चुअल रूप से जुड़ने की अपील भी की। निरंजन स्वामी महाराज ने कहा कि कथाएं तो अनवरत रूप से चलने वाले धार्मिक कार्यक्रम है पर प्रस्तुति मन को स्वंदित करती है। कथा व्यास साध्वी गौरंगी गौरी युवा एवं ऊर्जावान संत है। जो धर्म के संरक्षण संवर्धन में अपना योगदान प्रदान कर रही है। यह समस्त मातृशक्ति के लिए गौरव का विषय है। कथा व्यास साध्वी गौरंगी गोरी ने कहा कि सौभाग्यशाली व्यक्ति को ही कथा के श्रवण का अवसर प्राप्त होता है। श्रीमद् भागवत कथा के श्रवण से राजा परीक्षित को मोक्ष की प्राप्ति हुई थी और कलयुग में भी इसके साक्षात प्रमाण देखने को मिलते हैं। वास्तव में सभी ग्रंथों का सार श्रीमद्भागवत मोक्षदायिनी है। जिसे जितना ग्रहण करो उतनी ही जिज्ञासा बढ़ती है। और प्रत्येक सत्संग से अतिरिक्त ज्ञान की प्राप्ति होती है। कथा के आयोजक राठी परिवार ने कहा कि श्रीमद् भागवत कथा के आयोजन का जो सौभाग्य उन्हें प्राप्त हुआ है उसके लिए वह संत समाज के आभारी है। श्रीमद् भागवत कथा का श्रवण जो मनुष्य कर लेता है। उसके जन्म जन्मांतर के पापों का शमन होकर उसका जीवन सदैव उन्नति की ओर अग्रसर रहता है।