हरिद्वार

पतंजलि से सनातन का शंखनाद, रामनवमी के दिन शताधिक विद्वान भाई-बहन लेंगे संन्यास की दीक्षा

वैदिक परम्परा में सर्वोच्चतम पुष्प है संन्यास: स्वामी गोविन्द देव गिरि जी महाराज

  • सनातन धर्म को युगधर्म और विश्वधर्म के रूप में प्रतिष्ठापित करने के लिए
  • शताधिक नव-संन्यासी होंगे संन्यास परम्परा में दीक्षित: स्वामी रामदेव जी महाराज
  • सत्य सनातन वैदिक परम्परा को अक्षुण्ण बनाए रखने के लिए
  • पतंजलि के द्वारा किया जा रहा है वैदिक गुरुकुलों का संचालन: आचार्य बालकृष्ण जी महाराज

हरिद्वार। स्वामी रामदेव जी महाराज के 29वें संन्यास दिवस के अवसर पर पतंजलि संन्यासाश्रम के तत्वावधान में हिन्दू नववर्ष की चैत्र प्रतिपदा 22 मार्च से 31 मार्च 2023 तक दस दिवसीय संन्यास दीक्षा महोत्सव आयोजित किया जा रहा है जिसमें रामनवमी को लगभग 40 विदुषी बहनें तथा 60 विद्वान भाई स्वामी रामदेव जी महाराज ने संन्यास की दीक्षा लेंगे। साथ ही लगभग 500 प्रबुद्ध भाई-बहन आचार्य बालकृष्ण जी महाराज से ब्रह्मचर्य की दीक्षा लेंगे।
इस अवसर पर श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के कोषाध्यक्ष पूज्य स्वामी गोविंद देव गिरी महाराज ने संन्यास परम्परा में दीक्षित होने वाले भाई-बहनों को सम्बोधित करते हुए कहा कि वैदिक परम्परा में सर्वोच्चतम पुष्प संन्यास है। संन्यास अपने भीतर से खिलना चाहिए और संन्यासी को ऐसा अनुभव करना चाहिए कि मैं भगवत स्वरूप सृष्टि की सेवा के लिए समर्पित हो रहा हूँ। पतंजलि योगपीठ से शताधिक विद्वान व विदुषियाँ संन्यास की दीक्षा लेंगे तथा 15000 से ज्यादा युवाओं ने संन्यस्त होने की रुचि दिखाई जिनमें 500 प्रबुद्ध भाई-बहन आचार्य जी से ब्रह्मचर्य की दीक्षा लेंगे, यह रोमांचित करने वाला स्वर्णक्षण है। ये चमत्कार तो पूज्य स्वामी रामदेव जी महाराज ही कर सकते हैं।
कार्यक्रम में पूज्य स्वामी रामदेव जी महाराज ने कहा कि रामनवमी के दिन चार वेदों के महापारायण यज्ञ की पूर्णाहूति के साथ रामराज्य की प्रतिष्ठा तथा हिन्दु राष्ट्र का गौरव अपने हृदय में संजोकर और सनातन धर्म को युगधर्म और विश्वधर्म के रूप में प्रतिष्ठापित करने के लिए शताधिक नव-संन्यासी हमारे पूर्वज ऋषि-मुनियों की संन्यास परम्परा में दीक्षित होंगे। ये वैराग्यवान विद्वान व विदुषी भाई-बहन अष्टाध्यायी, व्याकरण, वेद, वेदांग, उपनिषद में निष्णात होकर योगधर्म, ऋषिधर्म, वेदधर्म, सनातन धर्म की वैश्विक प्रतिष्ठा के लिए संकल्पित होंगे। इससे भारतीय सनातन संस्कृति के संरक्षण के अभियान को ऊर्जा मिलेगी।
उन्होंने कहा कि पतंजलि में स्त्री-पुरुष, जाति, मत, पंथ, धर्म, सम्प्रदाय की संकीर्णताओं का कोई भेद नहीं है। यहाँ सभी वैराग्यवान विद्वान व विदुषी भाई-बहन समान भाव से इस ऐतिहासिक दिव्य-भव्य संन्यास दीक्षा में दीक्षित होकर सनातन धर्म की पताका पूरे विश्व में फहरायेंगे।
राम मंदिर पर बोलते हुए स्वामी जी ने कहा कि इससे रामराज्य की प्रतिष्ठा होगी। राम मंदिर के साथ-साथ यह देश का राष्ट्र मंदिर भी बने। लोगों का चरित्र निर्माण हो, व्यक्तित्व का निर्माण हो तथा एक दिव्य नेतृत्व का निर्माण हो। उन्होंने कहा कि राम मंदिर का लोकार्पण अगले वर्ष जनवरी में हो जाएगा तथा धारा 370 भी समाप्त हो गई है। अब दो कार्य शेष हैं- समान नागरिक संहिता तथा जनसंख्या नियंत्रण का काम, यह भी 2024 तक हो ही जाना चाहिए।
कार्यक्रम में आचार्य बालकृष्ण जी महाराज ने कहा कि सत्य सनातन वैदिक परम्परा की सांस्कृतिक विरासत को अक्षुण्ण बनाए रखने के लिए पतंजलि के द्वारा अनेक वैदिक गुरुकुलों का संचालन किया जा रहा है। उन गुरुकुलों में जाति, मत, पंथ, धर्म, सम्प्रदाय की संकीर्णताओं से रहित अनेक समुदायों व प्रांतों के सैकड़ों भाई-बहनों प्राचीन शास्त्रें का गहन अध्ययन कर योग्य विद्वान् व विदुषियों के रूप में तैयार हो रहे हैं जो संन्यास परम्परा में दीक्षित होकर राष्ट्र जागरण एवं आध्यात्मिक उत्थान के सात्विक नेतृत्व के लिए अपने जीवन को राष्ट्र को समर्पित करेंगे। ये संन्यासी भारत को विश्व का सबसे शक्तिशाली राष्ट्र बनाने व हिन्दू सनातन धर्म को राष्ट्रधर्म के रूप में प्रतिष्ठापित करने का संकल्प लेंगे।
इस 10 दिवसीय महोत्सव में देश के शीर्ष संतों, संन्यास धर्म के गौरव, पुरोधा, वेद धर्म व ऋषि धर्म के संवाहक पूज्य स्वामी गोविंद देव गिरि जी महाराज, जूनापीठाधीश्वर आचार्य महामण्डलेश्वर पूज्य स्वामी अवधेशानंद गिरि जी महाराज, कार्ष्णी पीठाधीश्वर पूज्य गुरु शरणानंद जी महाराज, सरसंघ चालक पूज्य मोहन भागवत जी सहित भाजपा अध्यक्ष श्री अमित शाह जी, उत्तर प्रदेश मुख्यमंत्री पूज्य योगी आदित्यनाथ जी आदि राजसत्ता के शिखर पुरुष शामिल होंगे।
इस सम्पूर्ण कार्यक्रम की रूपरेखा में श्रद्धामयी पूज्या साध्वी देवप्रिया जी का विशेष योगदान रहा। इस अवसर पर भारतीय शिक्षा बोर्ड के कार्यकारी अध्यक्ष श्री एन.पी. सिंह, श्री अजय आर्य, बाबू पद्मसेन जी, मुख्य केन्द्रीय प्रभारी भाई राकेश कुमार ‘भारत’, स्वामी परमार्थदेव, स्वामी आर्षदेव  व संस्था के सभी वरिष्ठ उपस्थित रहे।

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