सुप्रीम कोर्ट ने मुम्बई हाईकोर्ट के फैसले को पलटा, कहा आरोपी के खिलाफ कोई सीधा सबूत नहीं
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने छह साल की बच्ची से दुष्कर्म और उसकी हत्या के आरोपी की मुम्बई हाईकोर्ट से मिली मौत की सजा को माफ कर उसे साफ बरी कर दिया। कोर्ट ने फैसले में कहा कि आरोपी के खिलाफ कोई सीधा सबूत नहीं है।
तीन जजों की पीठ में जस्टिस संजय करोल ने फैसला देते हुए कहा कि पुलिस अपनी जांच का आधार उसके डीएनए टेस्ट को बनाया है और यह डीएनए सैंपल भी आरोपी से एक महीने से ज्यादा दिनों के बाद लिया गया था। ये सैंपल भी किसने लिया यह नहीं बताया गया। एफएसएल जांच के लिए अन्य सैंपल भी देरी से भेजे गए। इसका जवाब भी पुलिस ने रिपोर्ट में नहीं दिया। पुलिस की रिपोर्ट में यह नहीं था कि सैंपल मेडिकल स्टाफ ने लिया या पैरामेडिकल स्टाफ ने। वहीं, इस केस में जांच अधिकारी भी छह बार बदला गया, लेकिन उसके बारे में रिपोर्ट में कोई कारण नहीं बताया गया। पुलिस ने झनक केवट को सिर्फ इसलिए पकड़ा कि वह बगलवाली चाल में ही रहता था। इस चाल में उसके और भी दो साथी रहते थे। पुलिस ने उनसे कोई पूछताछ नहीं की। पीठ ने कहा कि पूरी स्टोरी में पुलिस कड़ियां जोड़ने में विफल रही है।
छह साल की बच्ची से दुष्कर्म और उसकी हत्या के आरोपी की सजा माफ और बरी
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