यहाँ-वहाँ चौराहों पर अब खुल्ला रास नहीं होगा। जो भी उल्टे काम करेगा अब वो खास नहीं होगा। तान के चादर सोने...
आज तेरे दर पे हम भी,मुस्कुराने आ गये। खुश होने के अब तो,सारे बहाने आ गये। यूँ पड़ी थी जिन्दगी, अभी तक...