लखनऊ: जानकीपुरम के एक दंपती ने किराये की कोख (सरोगेसी) के लिए मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) कार्यालय में आवेदन दिया है। यह जिले में सरोगेसी के लिए दूसरा आवेदन है। पहले का आवेदन तकनीकी खामियों के कारण निरस्त कर दिया गया था।
जानकीपुरम के दंपती ने आवेदन में बताया है कि उनके इकलौते बेटे ने आत्महत्या कर ली थी और उनकी पत्नी की बच्चेदानी निकाली जा चुकी है। इन परिस्थितियों में वे किराये की कोख का सहारा लेना चाहते हैं।
नए सरोगेसी कानून के अनुसार, डीएम की अध्यक्षता में गठित एक कमेटी आवेदन को मंजूरी देगी। इस कमेटी में सीएमओ, केजीएमयू के गाइनेकोलॉजी और रेडियोलॉजी विभाग के प्रमुख और संयुक्त निदेशक अभियोजन शामिल हैं। कमेटी आवेदक के दस्तावेजों की जांच करेगी और वीडियोग्राफी भी कराएगी।
सरोगेसी के लिए नियम:
* सरोगेट मां आवेदक की रिश्तेदार होनी चाहिए।
* सरोगेट मां विवाहित होनी चाहिए।
* सरोगेट मां की उम्र कम से कम 25 साल होनी चाहिए और उसका एक बच्चा भी होना चाहिए।
कमेटी की भूमिका:
डीएम की अध्यक्षता वाली कमेटी सरोगेसी अधिनियम को सख्ती से लागू करने के लिए गठित की गई है। यह कमेटी यह सुनिश्चित करेगी कि सरोगेसी की प्रक्रिया कानूनी दायरे में रहे।
प्रोफेशनल स्पर्म डोनर पर शिकंजा कसा:
नए कानून के अनुसार, प्रोफेशनल स्पर्म डोनर पर भी शिकंजा कसा गया है। आईवीएफ केंद्रों को अब सभी प्रक्रियाओं का रिकॉर्ड स्वास्थ्य विभाग को भेजना होगा। इससे यह सुनिश्चित होगा कि कोई भी व्यक्ति प्रोफेशनल डोनर के रूप में काम न कर रहा हो।
स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का कहना है कि:
कई चरणों की जांच के बाद ही कमेटी सरोगेसी के लिए अनुमति देगी। यह सुनिश्चित किया जाएगा कि सभी नियमों का पालन हो।
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