Connect with us

उत्तराखण्ड

आठ अप्रैल को लगेगा साल पहला सूर्यग्रहण, फिर 2078 में बनेगा यह संयोग

Published

on

धूमकेतु बनेगा सूर्यग्रहण के दौरानआकर्षक, 25 मार्च को लगेगा चंद्रग्रहण
नैनीताल। आठ अप्रैल को लगने जा रहा साल पहला सूर्यग्रहण भले ही भारत से नहीं देखा जा सकेगा, लेकिन इसरो के आदित्य एल 1 को ग्रहण के दौरान कोरोना का अध्ययन करने का खास मौका मिलेगा। जिस कारण यह अद्भुत खगोलीय घटना इसरो के लिए खास मानी जा रही है।
आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान एरीज के निदेशक व आदित्य एल 1 साइंस ग्रुप कमेटी व आउटरीच विभाग के सह अध्यक्ष प्रो. दीपांकर बनर्जी ने बताया कि साल का लगने जा रहा पहला पूर्ण सूर्यग्रहण इस बार कई मायनों में खास होगा।
आदित्य एल 1 को इस दौरान सूर्य के कोरोना का अध्ययन करने का प्राकृतिक मौका मिलेगा। जिसे पृथ्वी से देखे जाने वाले ग्रहण के साथ मिलान किया जाएगा। दरअसल सूर्य का कोरोना के कई रहस्य आज भी बरकरार हैं। हांलाकि आदित्य एल 1 में कोरोना के अध्ययन के लिए उपकरण लगे हुए हैं। जिससे आदित्य एल1 कभी भी सूर्य के कोरोना का अध्ययन कर सकता है। मगर प्राकृतिक रूप से सूर्यग्रहण अध्ययन का पहला अवसर होगा।
संभव है कि दोतरफा अध्ययन से कोई नई जानकारी हाथ लग जाए। जिस कारण इस सूर्यग्रहण पर भारतीय सौर विज्ञानियों की नजर रहेगी। आदित्य एल 1 टेस्टिंग के पहले कई चरणों मे सफल रहा है। इस सूर्यग्रहण को ग्रेट नार्थ अमेरिकन सोलर एक्लिप्स के नाम से पुकारा जा रहा है। यह दुर्लभ सूर्यग्रहण होगा, जो 54 साल बाद इस क्षेत्र में नजर आने वाला है। इसके बाद यह संयोग 2078 में बनेगा।
ग्रहण का पाथ उत्तरी अमेरिका से शुरू होगा, जो मैक्सिको , संयुक्त राज्य अमेरिका व कनाडा में नजर आएगा। पूर्ण सूर्यग्रहण के अध्ययन के लिए एरीज के विज्ञानी पहुचेंगे टेक्सासनैनीताल: प्रो दीपंकर बनर्जी ने बताया कि आठ अप्रैल को लगने जा रहे पूर्ण सूर्यग्रहण के अध्ययन के लिए एरीज की टीम संयुक्त राज्य अमेरिका के दक्षिणी प्रांत में स्थित टेक्सास पहुंच रही है। उनके साथ एरीज के सौर विज्ञानी डा कृष्णा प्रसाद भी साथ में होंगे। वह टेक्सास के समीप सूर्यग्रहण का अध्ययन करेंगे।
बाद में इस घटना की तस्वीरों को आदित्य एल 1 से प्राप्त तस्वीरों के साथ मिलान किया जाएगा। इससे पता चल पाएगा कि दोनों तस्वीरों में किस तरह का अंतर है और जमीनी व आसमानी (लैग्रेंज 1) के अध्ययन में क्या फर्क है। सूर्यग्रहण के दौरान एक धूमकेतु की मौजूदगी इस खगोलीय घटना का अधिक आकर्षण बनाने जा रही है। धूमकेतु 12पी/ पोंस-ब्रूक्स पूर्ण सूर्यग्रहण के दौरान दिन में नजर आएगा।
यह धूमकेतु 71 साल इन दिनों हमारे करीब पहुंचा हुआ है। एरीज के निदेशक प्रो दीपंकर बनर्जी ने बताया कि ग्रहण के दौरान खास संयोग बनने जा रहा है, जब पूर्ण सूर्यग्रहण के समय कोई धूमकेतु भी अपनी पूंछ के साथ नजर आएगा। जिस कारण यह खगोलीय घटना अधिक खास व दुर्लभ होने जा रही है। पूर्ण सूर्यग्रहण के दौरान कुछ समय के अंधकार में धूमकेतु के अलावा शुक्र व बृहस्पति ग्रह भी नजर आएंगे। 25 मार्च को चंद्रग्रहण होने जा रहा है। यह उपछाया वाला ग्रहण होगा। इस ग्रहण को देख पाना आसान नही होता है। ग्रहण के दौरान पृथ्वी की छाया की हल्की परत चंद्रमा पर पड़ती है। जिस कारण चंद्रमा की रोशनी में मामूली अंतर आ जाता है। इसी वजह से इसे उपछाया का ग्रहण (पैनम्बरल) चंद्रग्रहण कहा जाता है।

GET IN TOUCH

संपादक: गुलाब सिंह
पता: हल्द्वानी, उत्तराखण्ड
दूरभाष: +91 9412960065
ई-मेल: [email protected]

Select Language

Advertisement

© 2023, CWN (City Web News)
Get latest Uttarakhand News updates
Website Developed & Maintained by Naresh Singh Rana
(⌐■_■) Call/WhatsApp 7456891860