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हरिद्वार

अंततः योग, आयुर्वेद, अध्यात्म व पतंजलि की शरण में आना ही होगा: स्वामी रामदेव

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पतंजलि के माध्यम से देश, धर्म और संस्कृति के पुरोधा तैयार किए जा रहे हैं: आचार्य बालकृष्ण
हरिद्वार। दस दिवसीय संन्यास दीक्षा महोत्सव में आज छठें दिन पूज्य स्वामी रामदेव जी महाराज ने अपनी दिव्य वाणी से भावी संन्यासियों को अभिसिंचित किया। कार्यक्रम में स्वामी रामदेव जी महाराज ने कहा कि मुझे गर्व है कि पतंजलि के संन्यासी आज अलग-अलग सेवा प्रकल्प का नेतृत्व कर रहे हैं। पतंजलि से प्रेरणा लेकर लोग संन्यास मार्ग पर चलकर राष्ट्रसेवा में अपनी आहूति देने के लिए तैयार हैं।
उन्होंने कहा कि ऋषि-ऋषिकाओं का वंश बढ़ाने के लिए, अपने ऋषियों के उत्तराधिकारी, प्रतिनिधि बनने के लिए, योगधर्म, वेद धर्म, सनातन धर्म, संन्यास धर्म को राष्ट्रधर्म, युगधर्म और विश्वधर्म के रूप में प्रतिष्ठापित करने के लिए लोगों स्वयं को गौरवान्वित अनुभव कर रहे हैं। स्वामी जी ने कहा कि पूरे विश्व में चारों ओर फैले ईर्ष्या, द्वेष, भय, आतंकवाद, घृणा, धार्मिक उन्माद, रोगों के घात-प्रत्याघातों से बचने के लिए जब कोई मार्ग शेष नहीं बचेगा तो अंततः योग, आयुर्वेद, अध्यात्म व पतंजलि की शरण में आना ही होगा।
इस अवसर पर आचार्य बालकृष्ण जी महाराज ने कहा कि पतंजलि व पूज्य स्वामी जी के रूप में एक संन्यासी का दिव्य संकल्प व गौरव देखकर लोगों में पतंजलि, पूज्य स्वामी जी महाराज व संन्यास के प्रति आस्था बढ़ी है। पतंजलि के माध्यम से देश, धर्म और संस्कृति के पुरोधा तैयार किए जा रहे हैं। पूज्य स्वामी जी की प्रेरणा से जल्द ही ऋषियुग का अवतरण होगा।
भारतीय शिक्षा बोर्ड के कार्यकारी अध्यक्ष श्री एन.पी. सिंह ने कहा कि विश्व के सारे धर्म, दर्शन, यहाँ तक की विज्ञान और साहित्य भी हमारे सनातन धर्म तथा शाश्वत् मूल्यों के समुच्चय की बैसाखी पर खड़ा है। उन्होंने कहा कि राग, द्वेष, मोह, इन्द्रियों के वशीभूत होकर विकार ही हमारे भौतिक स्वरूप को खड़ा करते हैं, और संन्यास धर्म इन्हीं विकारों से मुक्त करने का सशक्त माध्यम है। जिस दिन इस विज्ञान के सिद्धांत का बोध हो जाएगा, उस दिन हमें आत्म दर्शन हो जाएगा।
सायंकालीन सत्र में सुप्रसिद्ध भजन गायिका सुश्री अभिलिप्सा पाण्डा ऋषिग्राम पहुँचेंगी तथा ‘सनातन संगीत महोत्सव’ में विवेक, भक्ति, वैराग्य के भजनों से ईश्वर स्तुति करेंगी।
इस अवसर पर महिला मुख्य केन्द्रीय प्रभारी साध्वी देवप्रिया जी, आचार्यकुलम् की निदेशिका बहन ऋतम्भरा शास्त्री, भाई राकेश कुमार ‘भारत’, स्वामी मित्रदेव, स्वामी ईशदेव, स्वामी सोमदेव, स्वामी हरिदेव, स्वामी जगतदेव जी, साध्वी देवश्रुति, साध्वी देववरण्या, साध्वी देववाणी, साध्वी देवार्चना आदि उपस्थित रहे।

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संपादक: गुलाब सिंह
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