नई दिल्ली

उत्तराखंड: जखोली में बाहरी लोगों के प्रवेश पर लगा प्रतिबंध, जुर्माने के लगाए बोर्ड

चमोली: उत्तराखंड के जखोली ब्लॉक के कांडा-भरदार गांव ने बाहरी लोगों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया है। गांव की सीमा पर लगाए गए सूचना बोर्डों के माध्यम से इस बात की जानकारी दी गई है। इससे पहले केदारघाटी के कई गांवों ने भी इसी तरह के कदम उठाए थे।
क्या है मामला?
बीते कुछ समय से उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों में बाहरी लोगों के प्रवेश को लेकर विवाद चल रहा है। कई गांवों में फेरी वाले, गैर हिंदू और रोहिंग्या के गांवों में प्रवेश और व्यापार करने पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। ग्रामीणों का मानना है कि बाहरी लोग फेरी, मोबाइल सहित अन्य इलेक्ट्रॉनिक सामान की मरम्मत के नाम पर गांवों में पहुंचकर असामाजिक गतिविधियों में लिप्त होते हैं। इसीलिए ग्राम पंचायतों ने यह फैसला लिया है।
पुलिस का कहना
पुलिस उपाधीक्षक प्रबोध घिल्डियाल ने बताया कि ग्राम पंचायत अपने सीमा क्षेत्र में बाहरी लोगों के प्रवेश को वर्जित करने के लिए इस तरह के सूचना बोर्ड लगाने के लिए स्वतंत्र है। हालांकि, किसी भी धर्म विशेष या किसी जाति, समुदाय को अंकित कर कोई भी बोर्ड या सूचना चस्पा नहीं की जा सकती है, ऐसे मामलों में कार्रवाई की जाएगी।
ग्रामीणों की प्रतिक्रिया
कांडा-भरदार गांव के ग्राम प्रधान अमित रावत ने बताया कि ग्रामीणों की सहमति से यह निर्णय लिया गया है। उन्होंने कहा कि बीते दिनों पहाड़ के अलग-अलग कस्बों में घटित घटनाओं को ध्यान में रखते हुए यह निर्णय लिया गया है। जो भी फेरी वाला या अन्य बाहरी गांव में घूमता पाया जाएगा, तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी और पांच हजार रुपये का अर्थदंड भी लगाया जाएगा।
चिंताएं और सवाल
* अधिकारों का हनन: कुछ लोगों का मानना है कि इस तरह के प्रतिबंध लोगों के आवागमन के अधिकार का हनन करते हैं।
* पर्यटन पर असर: पहाड़ी क्षेत्रों में पर्यटन एक प्रमुख उद्योग है। इस तरह के प्रतिबंधों से पर्यटन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
* सुरक्षा की चिंता: ग्रामीणों का मानना है कि बाहरी लोगों के प्रवेश पर रोक लगाने से गांवों में सुरक्षा बढ़ जाएगी।
* विकास में बाधा: कुछ लोगों का मानना है कि इस तरह के प्रतिबंध विकास कार्यों में बाधा डाल सकते हैं।
निष्कर्ष
उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों में बाहरी लोगों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगाने का मुद्दा काफी जटिल है। इस मुद्दे पर सभी पक्षों को अपनी-अपनी बात रखने का मौका मिलना चाहिए। सरकार को इस मामले में सभी पहलुओं पर विचार करते हुए एक संतुलित फैसला लेना चाहिए।

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