हरिद्वार

पिछले 100 वर्षों से ऐलोपैथी का विस्तार फैला हुआ था: स्वामी रामदेव

तीन दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन ‘प्लांट्स टू पेशन्ट्स-एथनोफार्माकोलॉजी पर पुनर्विचार’ का समापन

स्वास्थ्य सेवाओं के क्षेत्र में पूरी दुनिया पतंजलि की ओर देख रही है: आचार्य बालकृष्ण

हरिद्वार। पतंजलि अनुसंधान संस्थान के तत्वाधान में आयोजित तीन दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन ‘प्लांट्स टू पेशन्ट्स-एथनोफार्माकोलॉजी पर पुनर्विचार’ के समापन अवसर पर स्वामी रामदेव जी महाराज ने कहा कि पिछले 100 वर्षों से ऐलोपैथी का विस्तार फैला हुआ था, जिसके कारण मनुष्य ये सोचने लगा था कि इसके अलावा कोई दवा या पैथी है ही नहीं।
उन्होेंने कहा कि हमने आयुर्वेद में एविडेंस बेस्ड रिसर्च कर दवाएँ बनाईं और उन्हें मानवता हित में अग्रसर किया। आज मेडिकल फील्ड में बड़ा बदलाव आया है। पतंजलि के माध्यम से शिक्षा के क्षेत्र में नए प्रतिमान गढे़ गये हैं। हमने पतंजलि आयुर्वेद कॉलेज के माध्यम से आयुर्वेदिक चिकित्सकों की शृंखला तैयार कर राष्ट्रहित में समर्पित की है। स्वामी जी महाराज ने उपस्थित सभी वैज्ञानिकों का हृदय से अभिनन्दन करते हुए आभार व्यक्त किया।
इस अवसर पर आचार्य बालकृष्ण जी महाराज ने कहा कि आज स्वास्थ्य सेवाओं के क्षेत्र में आज पूरी दुनिया पतंजलि की तरफ देख रही है। उन्होंने कहा कि मनुष्य के जीवन में कुछ सीखने का मौका कभी-कभी आता है हमने जो कुछ सीखा, उससे प्राप्त होने वाला लाभ हमें पूरे जीवनभर मिलता रहता है। आज हम इस बेहतर अवसर का लाभ उठायें तथा इन वैदिक विधाओं को पुनः स्थापित करने के लिए अपना सहयोग दें, जिससे मनुष्य को उसका लाभ पूरे जीवनभर मिलता रहे। आज देश ही नहीं पूरे विश्व ने आयुर्वेद का लोहा माना है।
पतंजलि अनुसंधान संस्थान के प्रमुख वैज्ञानिक डॉ. अनुराग वार्ष्णेय ने सभी आगन्तुक वैज्ञानिकों व चिकित्सकों का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि इस सम्मेलन के माध्यम से ज्ञान की जो गंगा बही है उसका अमृत रूपी प्रसाद विद्यार्थियों, शोधार्थियों, नव-वैज्ञानिकों तथा शिक्षाविदों को मिलेगा तथा आयुर्वेद को बल मिलेगा।
सम्मेलन में दिल्ली फार्मास्यूटिकल साइंसेज एंड रिसर्च यूनिवर्सिटी, नई दिल्ली के कुलपति प्रो. रमेश के. गोयल ने ‘एथनोफार्माकोलॉजी टू क्लिनिकल फार्माकोलॉजी: चेंजिंग ट्रेंड्स एंड सक्सेस स्टोरीज’ विषय पर प्रकाश डाला। सेन्ट्रल काउन्सिल फॉर रिसर्च इन आयुर्वेद साइंसेज के डायरेक्टर जनरल प्रो. (डॉ.) रबि नारायण आचार्य ने ‘रिपरपज़ ऑफ आयुर्वेदिक ड्रग्स: एथनोफार्माकोलॉजी, ए टूल’ विषय पर व्याख्यान दिया।
ए.आई.आई.एम.एस. ऋषिकेश की सी.इ.ओ. एवं एक्सिक्यूटिव डायरेक्टर प्रो. (डॉ.) मीनू सिंह ने ‘हर्बल मेडिसिन: द इंटिग्रेटिव अप्रोच’, यूनिवर्सिटी ऑफ प्रिटोरिया, साउथ अफ्रिका की एन.आर.एफ./डी.एस.टी. चेयर प्रो. नमृता लाल ने ‘नेचुरल साइंस बेस्ड सोल्यूशन्स टू इम्प्रूव हैल्थ: प्योर सोल्यूशन्स फॉर नेचुरल ब्यूटी प्रोडक्ट्स’, फार्माकोपिया कमिशन फॉर इंडियन मेडिसिन एंड होम्योपैथी के डायरेक्टर डॉ. रमन मोहन सिंह ने ‘रोल ऑफ पी.सी.आई.एम. एण्ड एच. इन मेंटेनिंग क्वालिटी ट्रेडिशनल मेडिसिन इन इण्डिया’ विषय पर तथा ए.आई.आई.एम.एस. ऋषिकेश के कार्डियोलॉजी प्रमुख प्रो. (डॉ.) भानु दुग्गल ने ‘हर्बल क्लासिकल मेडिसिन्स इन कार्डियक डिज़ीज: एन एथनोफार्माकोलॉजिकल प्रस्पेक्टिव’ विषय पर अपने अनुभवों व शोध को साझा किया।
ए.आई.आई.एम.एस. के डिपार्टमेन्ट ऑफ बॉयोकेमिस्ट्री के असोसिएट प्रोफेसर डॉ. अशोक शर्मा ने ‘एण्टीकैंसर पोटेंशल ऑफ इण्डियन मेडिसिनल प्लांट्स अगेंस्ट ओवेरियन कैंसर’ तथा वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (डब्ल्यू.एच.ओ.), फिलिपिंस की सुश्री राधा सैनी ने ‘रिवाइटलाइजिंग द ग्लोबल हेल्थ’ विषय पर व्याख्यान दिया।
कार्यक्रम में पतंजलि विश्वविद्यालय के पदाधिकारियों तथा कर्मचारियों का विशेष सहयोग रहा। पतंजलि अनुसंधान संस्थान के डी.जी.एम. ऑपरेशन श्री प्रदीप नैन, सीनियर साइंटिस्ट डॉ. स्वाति हलदर, डॉ. ऋषभदेव, डॉ. निखिल मिश्रा, डॉ. सीमा गुजराल, डॉ. ज्योतिष श्रीवास्तव, श्री देवेन्द्र कुमावत, श्री संदीप सिन्हा तथा डॉ. कुणाल भट्टाचार्य ने सम्मेलन को सफल बनाने में अहम भूमिका निभाई।

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