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रुद्रनाथ कपाट बंद: 17 अक्तूबर को शीतकाल के लिए ताले, 500 श्रद्धालु पहुंचे
चतुर्थ केदार भगवान रुद्रनाथ के कपाट 17 अक्तूबर शुक्रवार को सुबह 6 बजे शीतकाल के लिए बंद हो जाएंगे। डोली का गोपेश्वर तक का सफर, पूजा विधि और भक्तों की भीड़ की पूरी जानकारी यहाँ पढ़ें।
रुद्रप्रयाग। उत्तराखंड के पंच केदारों में से एक, चतुर्थ केदार भगवान रुद्रनाथ के कपाट शीतकाल के लिए बंद होने की तिथि आ गई है। 17 अक्तूबर, शुक्रवार को सुबह 6 बजे मंदिर के कपाट अगले छह माह के लिए बंद कर दिए जाएंगे। इस भावुक क्षण का साक्षी बनने के लिए लगभग 500 श्रद्धालु रुद्रनाथ धाम पहुँच चुके हैं। भक्तों के बीच उत्साह और विदाई का मिला-जुला माहौल है।
पूजा विधि और डोली का सफर
रुद्रनाथ के मुख्य पुजारी सुनील तिवारी ने बताया कि शुक्रवार को सुबह 4 बजे से ही भगवान रुद्रनाथ की विशेष पूजाएं शुरू हो जाएंगी। सभी पारंपरिक पूजा-अर्चना संपन्न होने के बाद ठीक 6 बजे विधि-विधान से कपाट बंद कर दिए जाएंगे। इसके तुरंत बाद, सुबह साढ़े सात बजे भगवान की डोली गोपेश्वर के लिए प्रस्थान करेगी। डोली पंच गंगा, पितृधार और पनार गुग्याल होते हुए मोली बुग्याल पहुँचेगी, जहाँ नए अनाज (राजभोग) का भोग लगाया जाएगा। इसके बाद डोली सगर गाँव पहुँचेगी और फिर वहाँ से गोपीनाथ मंदिर की ओर बढ़ेगी।
गोपेश्वर में होगी शीतकालीन पूजा
शाम को सूर्यास्त से पहले डोली गोपीनाथ मंदिर, गोपेश्वर पहुँच जाएगी। यहाँ भी भगवान को नए अनाजों का भोग अर्पित किया जाएगा। अगले छह माह तक, भगवान रुद्रनाथ की शीतकालीन पूजा गोपीनाथ मंदिर परिसर में ही संपन्न होगी। पुजारी ने बताया कि कपाट बंद होने से पहले भगवान को मंदार (बुखला) के 251 सुगंधित पुष्प गुच्छों से पूरी तरह ढका जाएगा। कपाट खुलने पर यही फूल भक्तों को प्रसाद के रूप में वितरित किए जाते हैं। रुद्रनाथ धाम की यह परंपरा सदियों से चली आ रही है और भक्तों के लिए विशेष महत्व रखती है।
श्रद्धालुओं में धार्मिक उत्साह
रुद्रनाथ की यात्रा दुर्गम होने के बावजूद, कपाट बंद होने के अवसर पर भक्तों की संख्या लगातार बढ़ रही है। प्रशासन ने श्रद्धालुओं की सुरक्षा और व्यवस्था के लिए पुख्ता इंतज़ाम किए हैं। इस वार्षिक विदाई समारोह के कारण पूरे क्षेत्र में धार्मिक उल्लास का वातावरण है।
