हरिद्वार
हरिद्वार में कवि गोष्ठी: ‘परिक्रमा’ ने सजाई काव्य महफ़िल, वरिष्ठ कवियों ने बांधा समाँ
हरिद्वार में परिक्रमा साहित्यिक एवं सांस्कृतिक मंच ने एक भव्य कवि गोष्ठी आयोजित की। डॉ. मीरा भारद्वाज, मदन सिंह यादव समेत कई कवियों ने अपनी उत्कृष्ट रचनाओं से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध किया।
हरिद्वार। भेल, सेक्टर-5बी स्थित सुपरवाइज़र एण्ड जूनियर आफीसर्स एसोसिएशन के कार्यालय में परिक्रमा साहित्यिक एवं सांस्कृतिक मंच द्वारा एक शानदार काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। इस गोष्ठी में नगर के कई जाने-माने और लोकप्रिय कवियों ने हिस्सा लिया और अपनी विविध विधाओं की रचनाओं से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। काव्य गोष्ठी का मुख्य आकर्षण समाज और मानव मन की दुविधाओं पर केंद्रित रचनाएं रहीं।
वरिष्ठ कवियों की रचनाओं ने बांधा समाँ
गोष्ठी का शुभारंभ माँ सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन और देवेन्द्र मिश्र द्वारा प्रस्तुत वाणी वन्दना से हुआ। गोष्ठी की अध्यक्षता मूर्धन्य कवि और छंद विशेषज्ञ पं. ज्वाला प्रसाद शांडिल्य ‘दिव्य’ ने की, जबकि परिक्रमा सचिव शशिरंजन ‘समदर्शी’ ने कुशल काव्यगत संचालन किया। वरिष्ठ कवयित्री डा० मीरा भारद्वाज ने ‘अद्भुत ईश्वर की, तंत्र है मानव तन, विकट पहेली में उलझी हूँ, रहता कहाँ है मन’ के साथ मानव मन की उलझनों को प्रस्तुत किया।
सामाजिक और समसामयिक विषयों पर काव्य पाठ
गोष्ठी में उपस्थित कवियों ने सामाजिक मूल्यों के पतन और आज के हालातों पर अपनी रचनाओं के माध्यम से प्रहार किया। वरिष्ठ कवि मदन सिंह यादव ने अपनी पंक्ति ‘दूर तू हटता गया ईमान से, फासला बढ़ता गया इंसान से’ से श्रोताओं की खूब तालियाँ बटोरीं। कुंअर पाल सिंह ‘धवल’ ने नारी के सम्मान पर उत्कृष्ट काव्य पाठ किया, वहीं सुरेन्द्र कुमार ‘सत्यपथिक’ ने ‘पैसों की महिमा बड़ी, सब है जानत हैं आज’ के साथ धन के बढ़ते महत्व पर तंज कसा। कवयित्री डाॅ० नीता नय्यर ‘निष्ठ’ ने समसामयिक हालातों पर टिप्पणी करते हुए कहा, ‘वक्त बिछाए बैठा है चौसर अपनी फिर हारेगा एक सिकंदर लगता है’।
प्रेम और प्रकृति के रंग
ओज और सामाजिक चेतना के अलावा काव्य गोष्ठी में श्रृंगार और प्रकृति के रंग भी देखने को मिले। चेतना पथ सम्पादक अरुण कुमार पाठक ने अपना भावपूर्ण गीत ‘चले जाना ठहर करके, तुमको देखा नहीं है जी भर के’ प्रस्तुत किया। बृजेन्द्र ‘हर्ष’ ने ‘नयनों में सरल स्नेह, मन सरिता अनुरागी बहने दो’ के साथ प्रेमिल भाव को उभारा। परिक्रमा सचिव शशि रंजन समदर्शी की रचना ‘स्वप्न भटकता जा पहुँचा बूढ़े वट की छाँव में, सजी बैलगाड़ी में दुल्हन आई मेरी गाँव में’ को भी खूब सराहा गया। इनके अतिरिक्त, पारिजात अध्यक्ष सुभाष मलिक, अमित कुमार ‘मीत’, कुसुमाकर मुरलीधर पंत, श्यामा चरण शुक्ला और ओज कवि दिव्यांश ‘दुष्यन्त’ ने भी अपनी सरस काव्य रचनाएँ प्रस्तुत कीं।
सफल आयोजन का निष्कर्ष
परिक्रमा साहित्यिक एवं सांस्कृतिक मंच का यह आयोजन हरिद्वार की साहित्यिक गतिविधियों को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। कवियों ने जहां एक ओर समाज को आइना दिखाया, वहीं दूसरी ओर श्रोताओं को उत्कृष्ट काव्य का आनंद भी दिया। यह गोष्ठी कविता प्रेमियों के लिए एक यादगार शाम साबित हुई।
