हरिद्वार: अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने प्रयाग कुंभ में गैर हिंदुओं के प्रवेश पर प्रतिबंध लगाने का निर्णय लिया है। परिषद के अध्यक्ष और निरंजनी अखाड़े के श्रीमहंत रविंद्रपुरी महाराज ने कहा कि कुछ लोग सनातन संस्कृति को भ्रष्ट करने की कोशिश कर रहे हैं।
श्रीमहंत रविंद्रपुरी महाराज ने कहा, “कहीं थूक कर, कहीं मूत्र कर सनातन संस्कृति को भ्रष्ट करने की चेष्टा की जा रही है। कुंभ से पहले ही उत्तर प्रदेश सरकार को यह तय करना होगा कि कौन जूस बेचेगा और कौन खाना खिलाएगा। यदि कुंभ में भी इस तरह का कृत्य सामने आया तो सनातनी चुप नहीं बैठेंगे और ऐसे लोगों को नागा संन्यासी दंडित करेंगे।”
उन्होंने हाल ही में सामने आए कुछ वीडियो का हवाला देते हुए कहा कि गैर हिंदू समुदाय के कुछ लोग जिहाद चला रहे हैं। उन्होंने कहा, “मसूरी और अन्य जगहों के वायरल वीडियो का संज्ञान लेते हुए उन्होंने कहा कि यदि इस तरह का कृत्य किया जा रहा है और मुस्लिम समुदाय के मौलाना चुप्पी साधे हुए हैं, तो यह बेहद चिंतनीय है। हमारे यहां मंदिरों में भी ईश्वर अल्लाह तेरों नाम का भजन सुनाया जाता है, जबकि किसी मसजिद से सामाजिक सौहार्द की ऐसी भजन कभी सुनाई नहीं देती है।”
श्रीमहंत ने चेतावनी दी कि अगर कोई भी व्यक्ति इस तरह का कृत्य करता है तो नागा संन्यासी उसे दंड देंगे।
विवाद और चिंताएं
अखाड़ा परिषद का यह निर्णय कई सवाल खड़े करता है। क्या धार्मिक स्थलों पर प्रवेश को धर्म के आधार पर प्रतिबंधित करना उचित है? क्या यह निर्णय धार्मिक सहिष्णुता के सिद्धांतों के विरुद्ध नहीं है?
विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह के निर्णय समाज में धार्मिक विभाजन को बढ़ावा दे सकते हैं। इसके अलावा, यह सवाल भी उठता है कि नागा संन्यासियों को किसी व्यक्ति को दंड देने का अधिकार किस आधार पर दिया जा रहा है?
सरकार की भूमिका
इस पूरे मामले में सरकार की भूमिका भी महत्वपूर्ण होगी। सरकार को यह सुनिश्चित करना होगा कि किसी भी धर्म के लोगों के साथ भेदभाव न हो। साथ ही, कानून और व्यवस्था बनाए रखना भी सरकार की जिम्मेदारी है।
समाज में प्रतिक्रियाएं
इस निर्णय के बाद से समाज में अलग-अलग तरह की प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं। कुछ लोग इस निर्णय का समर्थन कर रहे हैं, जबकि अन्य लोग इसका विरोध कर रहे हैं।
अखाड़ा परिषद का फैसला: कुंभ में गैर हिंदुओं का प्रवेश वर्जित
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