प्रयागराज: अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने आगामी महाकुंभ में सनातनी अफसरों और कर्मचारियों को ही तैनात करने की मांग उठाई है। परिषद ने यह भी मांग की है कि मेले में केवल सनातनियों को ही प्रवेश दिया जाए और अन्य लोगों के लिए अलग से व्यवस्था की जाए। यह मुद्दा छह अक्टूबर को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के समक्ष उठाया जाएगा।
अखाड़ा परिषद की शुक्रवार को बुलाई गई बैठक में पेशवाई और शाही नामों को बदलने पर भी सहमति बनाने की कोशिश की जाएगी। माना जा रहा है कि मुगलकाल से चले आ रहे इन दोनों शब्दों की विदाई हो जाएगी।
सरकारी विभागों में तालमेल की कमी पर नाराजगी:
संतों ने महाकुंभ के कार्यों को लेकर विभागों में तालमेल की कमी पर नाराजगी जताई है। उन्होंने कहा कि एकबार बनने के बाद उसी सड़क को दोबारा खोदा जा रहा है, जिससे आमजन त्रस्त हैं।
रेलवे प्रशासन की विशेष व्यवस्था:
महाकुंभ के दौरान रेलवे प्रशासन विशेष व्यवस्था करने जा रहा है। रोडवेज बसों की तर्ज पर ट्रेनों के अंदर ही यात्रियों को अनारक्षित टिकट उपलब्ध कराए जाएंगे। मेले के दौरान देश-विदेश से लाखों श्रद्धालुओं के आने का अनुमान है।
मुख्य बिंदु:
* अखाड़ा परिषद ने महाकुंभ में सनातनी अफसरों और कर्मचारियों की मांग की है।
* मेले में केवल सनातनियों को ही प्रवेश देने की मांग उठाई गई है।
* पेशवाई और शाही शब्दों को बदलने पर विचार किया जा रहा है।
* सरकारी विभागों में तालमेल की कमी पर नाराजगी जताई गई है।
* रेलवे प्रशासन ट्रेनों में ही यात्रियों को अनारक्षित टिकट उपलब्ध कराएगा।
विश्लेषण:
अखाड़ा परिषद की ये मांगे काफी विवादास्पद हैं और इन पर कई तरह की प्रतिक्रियाएं आ सकती हैं। एक तरफ जहां संतों का मानना है कि इससे महाकुंभ की पवित्रता बनी रहेगी, वहीं दूसरी तरफ यह धार्मिक आधार पर भेदभाव का मामला भी हो सकता है।
आगे क्या होगा:
छह अक्टूबर को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ होने वाली बैठक में इन मुद्दों पर क्या निर्णय लिया जाता है, यह देखना दिलचस्प होगा।
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अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने महाकुंभ में सनातनी अफसरों की मांग उठाई
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