हरिद्वार: अध्यात्म चेतना संघ द्वारा आयोजित श्रीमद्भागवत गीता जयंती महोत्सव में आचार्य करुणेश मिश्र ने कहा कि मोह ही मनुष्य के शोक का कारण है। उन्होंने भगवत पुराण के महत्त्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि भगवान से प्रेम करने से भगवत कथा से प्रेम होता है और यह जीवन को धन्य बनाता है।
आचार्य ने बताया कि भगवान की तीनों अवस्थाओं – सृष्टि, पालन और संहार में कोई मोह, अहंकार या शोक नहीं होता। वे पूर्णतः निर्लेप हैं। उन्होंने कहा कि ज्ञान और वैराग्य के लिए भक्ति का होना आवश्यक है और भगवत कथा भक्ति को जाग्रत करने का सबसे बड़ा उपाय है।
इस कार्यक्रम का शुभारंभ पतंजलि योगपीठ के महामंत्री बालकृष्ण ने किया और मुख्य अतिथि कोर विश्वविद्यालय के कुलपति जे.सी. जैन रहे।