हरिद्वार- एसएमजेएन कॉलेज के व्याख्यान कक्ष में आन्तरिक गुणवत्ता आश्वासन प्रकोष्ठ तथा अर्थशास्त्र विभाग के संयुक्त तत्वाधान में सतत् विकास लक्ष्य की आठवीं वर्षगांठ पर भारत में सतत विकास लक्ष्य विषयक एक साप्ताहिक जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
बेटी-बचाओ, बेटी-पढ़ाओ भी सतत विकास का महत्वपूर्ण लक्ष्य: प्रो. बत्रा
कॉलेज के प्राचार्य प्रो. सुनील कुमार बत्रा ने अपने सम्बोधन में शिक्षा जगत, सरकार और नागरिक भारत में सतत विकास को आगे बढ़ाने के लिए कैसे सहयोग कर सकते हैं, की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि सतत विकास एक दूरदर्शी योजना है जो आर्थिक विकास, सामाजिक न्याय संगतता और पर्यावरण संरक्षण के समावेशन में विकास का आह्वान करती है तथा जो विकास के लिए भविष्य की पीढ़ियों की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए वर्तमान की आवश्यकताओं का पूरा करने पर जोर देता है। प्रोफेसर बत्रा ने कहा कि बेटी-बचाओ, बेटी-पढ़ाओ भी सतत विकास का महत्वपूर्ण लक्ष्य है। इससे विपरीत लिंगानुपात को ठीक करने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि गरीबी उन्मूलन, पर्याप्त अन्न की उपलब्धता भूमि की उर्वरता अक्षुण्ण रखना भी सतत विकास का मुख्य उद्देश्य हैं। प्रो. बत्रा ने कहा कि जिस तेजी से विश्व की जनसंख्या बढ़ रही है और जिस प्रकार प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग किया जा रहा है, उसका परिणाम यह होगा कि आगे आने वाली पीढ़ियों के लिए आवश्यक प्राकृतिक संसाधन पृथ्वी पर उपलब्ध नहीं होंगे। उन्होंने कहा कि भावी पीढ़ी के लिए प्राकृतिक संसाधनों के बचाव के मद्देनज़र ही सतत विकास की अवधारणा का विकास हुआ है। कार्यक्रम का संचालन करते हुए प्रभारी, आन्तरिक गुणवत्ता आश्वासन प्रकोष्ठ के डॉ. संजय कुमार माहेश्वरी ने जानकारी देते हुए बताया कि विकास मानव समाज की एक साधारण प्रक्रिया है। मानव हमेशा विकास करते रहना चाहता है। हमें पानी को ऐसे प्रयोग में लाना है कि वह आने वाली पीढ़ियों के लिए भी सुरक्षित रहे, इसी प्रकार के विकास को सतत विकास कहा जाता है। इस दौरान जगदीश चन्द्र आर्य, डॉ. लता शर्मा, डॉ.आशा शर्मा, डॉ. मोना शर्मा, डॉ. सरोज शर्मा, डॉ. मिनाक्षी शर्मा, डॉ. विजय शर्मा, वैभव बत्रा, डॉ. पल्लवी, डॉ. रश्मि डोभाल, साक्षी गुप्ता, भव्या भगत, मोहन चन्द्र पाण्डेय आदि मौजूद रहे।