नैनीताल
मीट केस: HC से जमानत खारिज होते ही भाजपा नेता मदन जोशी ने किया आत्मसमर्पण, भारी भीड़ के बीच स्कूटी से पहुंचे कोतवाली!
23 अक्टूबर को मीट वाहन चालक से मारपीट के आरोपी भाजपा के पूर्व नगर अध्यक्ष मदन जोशी ने हाईकोर्ट से जमानत याचिका खारिज होने के बाद स्कूटी से कोतवाली पहुंचकर आत्मसमर्पण कर दिया। पुलिस ने आरोपी को कोर्ट में पेश कर जेल भेजा।
रामनगर। उत्तराखंड में मीट प्रकरण (Meat Case) के चलते सुर्खियों में रहे और लंबे समय से फरार चल रहे भाजपा के पूर्व नगर अध्यक्ष मदन जोशी ने मंगलवार को नाटकीय ढंग से आत्मसमर्पण कर दिया। सोमवार को हाईकोर्ट से उनकी अग्रिम जमानत याचिका खारिज होने के बाद, जोशी मंगलवार सुबह अपनी स्कूटी से कोतवाली पहुंचे और पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया। पुलिस ने तत्परता दिखाते हुए आरोपी भाजपा नेता को कोर्ट में पेश किया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया है।
हत्या के प्रयास में दर्ज हुआ था मुकदमा
यह पूरा मामला 23 अक्तूबर को हुए एक विवाद से संबंधित है। उस दिन मीट ले जा रहे एक वाहन को रोकने और उसके चालक के साथ मारपीट करने का आरोप मदन जोशी और उनके समर्थकों पर लगा था। इस घटना के बाद, वाहन चालक की पत्नी की तहरीर पर पुलिस ने भाजपा नेता मदन जोशी समेत पांच नामजद और करीब 30 अज्ञात लोगों के खिलाफ हत्या के प्रयास (Attempt to Murder) सहित अन्य गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज किया था। इसके बाद से ही पुलिस लगातार मदन जोशी की गिरफ्तारी के प्रयास कर रही थी।
आत्मसमर्पण से पहले वीडियो और समर्थकों की भीड़
कोर्ट से जमानत याचिका खारिज होने के बाद, मदन जोशी ने मंगलवार की सुबह एक सोशल मीडिया पर वीडियो अपलोड किया, जिसमें उन्होंने समर्पण करने की बात कही। वीडियो अपलोड होते ही बड़ी संख्या में भाजपा कार्यकर्ता और समर्थक कोतवाली पहुंचने लगे। विधायक समेत अन्य नेता भी गिरफ्तारी को लेकर कोतवाली में जमा हो गए थे। किसी भी अप्रिय स्थिति से निपटने के लिए कोतवाली के बाहर भारी पुलिस बल भी तैनात किया गया था। इस भीड़ के बीच ही भाजपा नेता मदन जोशी स्कूटी चलाकर कोतवाली पहुंचे और कानून के सामने खुद को सौंप दिया।
पुलिस की कार्रवाई और निष्कर्ष
कोतवाल सुशील कुमार ने मीडिया को बताया कि आरोपी मदन जोशी ने आत्मसमर्पण कर दिया है। कानूनी प्रक्रिया पूरी करने के बाद उन्हें तत्काल कोर्ट में पेश किया गया, जहां से न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया है। भाजपा नेता का यह आत्मसमर्पण दर्शाता है कि कानूनी प्रक्रिया और कोर्ट के निर्णय का सम्मान किया गया है। यह घटना उत्तराखंड में कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए पुलिस की प्रतिबद्धता को मजबूत करती है।
