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पहाड़ में स्वास्थ्य सुविधाओं पर गहरा संकट! घनसाली में तीन माह में तीसरी गर्भवती की मौत, रास्ते में तोड़ा दम
उत्तराखंड के घनसाली में भिलंगना ब्लॉक की 24 वर्षीय गर्भवती नीतू पंवार की रेफर करने के बाद रास्ते में मौत हो गई। तीन महीने में यह तीसरा मामला है। बदहाल स्वास्थ्य सेवाओं पर उठे गंभीर सवाल।
घनसाली। उत्तराखंड के घनसाली क्षेत्र में स्वास्थ्य सुविधाओं की गंभीर कमी ने एक बार फिर एक परिवार की खुशियाँ छीन ली हैं। भिलंगना ब्लॉक की एक और गर्भवती महिला नीतू पंवार (24) की मंगलवार को हायर सेंटर रेफर किए जाने के बाद रास्ते में मौत हो गई। यह घटना क्षेत्र में बीते तीन माह के भीतर तीसरी मातृ मृत्यु का मामला है, जिसने पहाड़ की बदहाल स्वास्थ्य व्यवस्था की पोल खोलकर रख दी है।
हायर सेंटर ले जाते समय हुई मौत
श्रीकोट गांव निवासी नीतू पंवार पत्नी दीपक पंवार आठ माह की गर्भवती थीं। मंगलवार सुबह उन्हें बेलेश्वर अस्पताल से हायर सेंटर के लिए रेफर किया गया। एंबुलेंस से करीब ढाई घंटे के सफर के बाद जब वे फकोट पहुँचीं, तो नीतू ने दम तोड़ दिया। सीएचसी बेलेश्वर के चिकित्सा प्रभारी डॉ. शिव प्रसाद भट्ट और सीएमओ डॉ. श्याम विजय ने बताया कि नियमित जांच न होने की वजह से नीतू के शरीर में काफी सूजन थी और रक्तचाप बढ़ा हुआ था, जिस कारण उन्हें हायर सेंटर रेफर करना पड़ा।
कीलकारी की उम्मीदें मातम में बदली
नीतू की मौत ने उनके परिवार पर दुखों का पहाड़ तोड़ दिया है। नीतू के ससुर सोबन सिंह को उम्मीद थी कि जल्द ही उनका घर किलकारियों से गूंज उठेगा। नाती-नातिन के जन्म से उनके विदेश गए बेटे दीपक पंवार से दूरी का गम भी कुछ कम होता। लेकिन बदहाल स्वास्थ्य सुविधाओं ने उनकी बहू ही छीन ली। भारी दुख में डूबे परिवार में इतनी हिम्मत नहीं है कि वे दीपक को उनकी पत्नी की मौत की खबर दे सकें। बेटे के रोजगार के लिए विदेश जाने के बाद नीतू अपने सास-ससुर का एकमात्र सहारा थीं।
पहले भी हो चुकी हैं दो मौतें
घनसाली क्षेत्र में स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी के चलते यह कोई पहली घटना नहीं है। इससे पहले, इसी ब्लॉक की रवीना कठैत और अनीशा रावत नामक गर्भवती महिलाओं की भी हायर सेंटर रेफर किए जाने के बाद रास्ते में ही मौत हो चुकी है। ग्रामीणों का स्पष्ट कहना है कि यदि सीएचसी बेलेश्वर, जो नीतू के गांव से मात्र आधा किमी दूर है, में पर्याप्त इलाज की सुविधाएँ होतीं, तो शायद नीतू को जान नहीं गंवानी पड़ती। ये लगातार हो रही मौतें सरकार और स्वास्थ्य विभाग के दावों पर गंभीर प्रश्न चिन्ह लगाती हैं।
