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नई दिल्ली

धराली आपदा: बादल फटना नहीं, अस्थाई झील टूटने से आई बाढ़ – वैज्ञानिकों का दावा

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देहरादून। उत्तरकाशी जिले के धराली गांव में मंगलवार को आई भीषण आपदा की वजह बादल फटना नहीं है। मौसम विभाग के अनुसार 4-5 अगस्त को यहां मात्र 8-10 मिमी बारिश हुई, जबकि बादल फटने की स्थिति में एक घंटे में 100 मिमी से अधिक बारिश दर्ज होती है। वैज्ञानिकों का कहना है कि इस आपदा के पीछे कारण भूस्खलन से नदी का प्रवाह रुकने पर बनी अस्थाई झील का टूटना, ग्लेशियर या चट्टान का गिरना, या फ्लैश फ्लड हो सकता है।

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पूर्व वैज्ञानिक डॉ. डीपी डोभाल ने बताया कि धराली फ्लड प्लेन में बसा है और इसके पीछे डेढ़-दो किलोमीटर लंबा घना जंगल है, जिससे होकर खीर गाड बहती है। इसके ऊपर बर्फीला पर्वत स्थित है। फ्लैश फ्लड की गति और स्वरूप बादल फटने जैसा नहीं था, बल्कि यह किसी ऊपरी हिस्से में पानी जमने और अचानक टूटने जैसी स्थिति को दर्शाता है।

धराली और आसपास की घाटियां बेहद संकरी और पहाड़ ऊंचे हैं। ऐसे में यदि कोई ग्लेशियर या चट्टान जमे हुए पानी या अस्थाई झील पर गिरती है, तो पानी के साथ भारी मलबा भी बहकर आता है। इस बार आया पानी काले रंग का और मलबा स्लेटी रंग का था, जो जमे हुए स्थान के टूटने का संकेत है। यह परिघटना 2021 में चमोली जिले के ऋषिगंगा हादसे से मिलती-जुलती है, जब अस्थाई झील में जमा मलबा अचानक बहकर नीचे आया था।

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