हरिद्वार
हरिद्वार: जूना अखाड़े से दो संतों का निष्कासन, बना ‘अखिल भारतीय आश्रम परिषद’
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के चुनाव पर सवाल उठाने वाले स्वामी यतींद्रानंद गिरि और स्वामी प्रबोधानंद गिरि को जूना अखाड़े से बाहर कर दिया गया। दोनों संतों ने अलग से ‘अखिल भारतीय आश्रम परिषद’ के गठन की घोषणा की है। पढ़ें अखाड़ों के विवाद और 2027 कुंभ की तैयारियों पर संतों की नाराजगी।
हरिद्वार। संत समाज (Sant Samaj) के भीतर लंबे समय से चल रहा विवाद अब बड़े टकराव में बदल गया है। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के चुनाव को लेकर मुखर रहे स्वामी यतींद्रानंद गिरि (Swami Yatindranand Giri) और स्वामी प्रबोधानंद गिरि को जूना अखाड़े (Juna Akhara) से निष्कासित कर दिया गया है। जूना अखाड़े के अंतरराष्ट्रीय संरक्षक महंत हरि गिरी ने इस कार्रवाई की पुष्टि करते हुए कहा कि दोनों संतों ने रविवार को हरिद्वार में बैठक कर अलग से अखिल भारतीय आश्रम परिषद (Ashram Parishad) बनाने की घोषणा की थी, जिसके बाद यह अनुशासनात्मक कार्रवाई की गई है। उन्होंने स्पष्ट किया कि अखाड़े का अनुशासन सर्वोपरि है और इससे कोई समझौता नहीं किया जाएगा।
अखाड़ा परिषद के वजूद पर सवाल
इन दोनों संतों के निष्कासन (Juna Akhara Expels Two Saints) के बाद संत समाज में खलबली मच गई है। नाराज संतों का तर्क है कि अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद (Akhara Parishad Election) का चुनाव कई दिनों से नहीं हुआ है, जिससे परिषद के वजूद पर ही सवाल खड़े होते हैं। यह भी गौरतलब है कि स्वामी यतींद्रानंद गिरि भाजपा के नेता भी रहे हैं और 2009 में हरिद्वार से लोकसभा चुनाव लड़ चुके हैं। इस विवाद ने अखाड़ों की आंतरिक राजनीति को उजागर कर दिया है।
अखिल भारतीय आश्रम परिषद का गठन
जूना अखाड़े की कार्रवाई से पहले ही भारत सेवाश्रम में साधु-संतों ने बैठक कर अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद की तर्ज पर एक नई संस्था “अखिल भारतीय आश्रम परिषद” के गठन की घोषणा कर दी। इस नई संस्था के गठन का मुख्य कारण 2027 में आयोजित होने वाले हरिद्वार कुंभ मेले (Haridwar Kumbh 2027) की तैयारियों पर नाराजगी है। संतों ने आरोप लगाया कि शासन-प्रशासन ने कुंभ की तैयारियों के लिए केवल अखाड़ा परिषद से बैठकें कीं, लेकिन आश्रमों में निवास करने वाले हजारों साधु-संतों को पूरी तरह नजरअंदाज (Ashram Parishad) कर दिया।
कुंभ पर समान अधिकार की मांग
महामंडलेश्वर यतींद्रानंद गिरि ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि कुंभ मेला केवल अखाड़ों का नहीं, बल्कि सभी साधु-संतों का होता है। उन्होंने बताया कि आश्रमों के साधु-संत करोड़ों भक्तों की सेवा करते हैं और उनके भी शिविर लगते हैं, इसलिए सरकार को सभी पक्षों को समान अधिकार देना चाहिए। अखाड़ा परिषद के पूर्व प्रवक्ता बाबा हठयोगी ने भी इस बात पर असंतोष जताया कि इस बार केवल अखाड़ों को तरजीह दी जा रही है। उन्होंने कहा कि नई आश्रम परिषद जल्द ही सभी संतों की समस्याओं का समाधान करने का मंच बनेगी। महामंडलेश्वर स्वामी रूपेंद्र प्रकाश ने सरकार से जल्द बैठक बुलाकर सभी पक्षों से सुझाव लेने की मांग की है।
