ऐसा करने से पितरों को मिलेगा मोक्ष्य, दान पुण्य आदि कार्य करने से कई गुना लाभकारी
हरिद्वार। आज गंगा सप्तमी है। गंगा पूजन और स्नान करने के बाद पितरों को गंगाजल देने और उनके निमित्त कार्य करना बहुत ही शुभ दिन माना जाता है। मान्यता के अनुसार गंगा सप्तमी के दिन मां गंगा ब्रह्मा के कमंडल से अवतरित हुई थीं
इस साल सप्तमी 26 और 27 अप्रैल दोनों दिन रहेगी, लेकिन गंगा सप्तमी मनाने का मुख्य दिन 26 अप्रैल है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार गंगा सप्तमी पर अपने पितरों के निमित्त कार्य करने से विशेष फल की प्राप्ति होने की धार्मिक मान्यता है। गंगा सप्तमी के दिन गंगा घाटों पर स्नान करने के बाद पितरों को जल देने और दान पुण्य आदि कार्य करने से कई गुना लाभ मिलेगा।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस दिन गंगा स्नान करने के बाद पितरों को गंगाजल देने और उनके निमित्त कोई भी कार्य करने का गंगा सप्तमी बहुत ही शुभ दिन माना जाता है। भागीरथ ने भी अपने पूर्वजों की आत्मा शांति के लिए गंगा को धरती पर लाने के लिए गंगा और भगवान भोलेनाथ की तपस्या की थी, जिसके बाद उनके पूर्वजों की आत्मा को शांति मिली थी।
शुभ मुहूर्त
ज्योतिष प्रतीक मिश्रपुरी ने बताया कि गंगा सप्तमी पूजा 26 को होगी। मुहूर्त 26 अप्रैल सुबह 11 बजकर 50 मिनट से शुरू है और दोपहर करीब 12.40 बजे तक है। इस दौरान गंगा घाटों पर जाकर अपने पितरों के निमित्त कार्य करने से कई लाभ मिलते हैं। उनका कहना है कि गंगा सप्तमी के दिन स्नान, ध्यान और दान करने से लाखों-करोड़ों गुना फल मिलता है और गंगा माता उनके सभी भाव को पूरा करती हैं।
मां गंगा का जन्म दिवस
शास्त्री के अनुसार, गंगा सप्तमी को मां गंगा का जन्म दिवस मनाया जाता है। मान्यता है कि वैशाख शुक्ल पक्ष की सप्तमी को गंगा माता का जन्म भगवान ब्रह्मा के कमंडल से हुआ था और गंगा को भगवान शिव ने अपनी जटाओं में धारण किया था। जिसके बाद भगीरथ द्वारा पूजा पाठ और भगवान भोलेनाथ को प्रसन्न करने पर उन्होंने अपनी जटाएं खोलकर गंगा की एक धारा को धरती पर बहने दिया था, जिससे मानव कल्याण हो सके. मां गंगा का धरती पर आने का मुख्य उद्देश्य भागीरथ के पूर्वजों की आत्मा को शांति देने के लिए था, यानी गंगा सप्तमी के दिन अपने पूर्वजों के लिए कोई भी कार्य करने से उसका कई गुना फल व्यक्ति को मिलता है।
गंगा सप्तमी आज, पूजा और गंगा स्नान करने का इस समय रहेगा शुभ मुहूर्त
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