जब सर्दी में नरमाई,
और गर्मी ले अंगड़ाई।
और चले बसंती बयार,
तो समझो होली आई है।।
जब कोयलिया कुहुक लगाए,
तरु अम्बुआ के बौराए।
जब महुआ महक उड़ाए,
तो समझो होली आई है।।
जब पीहू पीहू चहुं और,
मोरा पंख फैला करे शोर।
और निकले गुलाबी भोर,
तो समझो होली आई है।।
जब हो बागों में निखार,
और हो टेसू की बहार।
हो रंग भरी बौछार,
तो समझो होली आई है।।
जब सखियों का हो संग,
नवयुवकों का हुड़दंग।
और जमे भंग का रंग,
तो समझो होली आई है।
जब चारों ओर हों रंग
और मन में उठे उमंग।
हो पकवानों का संग,
तो समझो होली आई है।।
जब प्रीत का मौसम छाए,
सब मस्ती में खो जाएं।
इक दूजे को रंग लगाएं,
तो समझो होली आई है।।
इक दूजे को गले लगाएं
जब मन के भेद मिटाएं,
और गीत प्रेम के गाएं,
तो समझो होली आई है।।
डाॅ० सुधा सिरोही, मुरादाबाद
होली आई है…
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