नई दिल्ली
इसी जगत में
इसी जगत में फल हैं मीठे,
और कसैली नीम भी हैं।
इसी जगत में औषधियां हैं,
गांजा चरस अफीम भी हैं।
तू उनको अपना ले बन्दे
जिसकी मन में चाहत है।
इसी जगत में नेक संत हैं,
आसा राम-रहीम भी हैं।
देवेश द्विवेदी ‘देवेश’
