Connect with us

उत्तराखण्ड

उत्तराखंड में चीन सीमा की 100 किमी परिधि में आने वाले 150 गांवों की वास्तविक हालात का होगा सर्वे

Published

on

रिवर्स पलायन रोकने और गांवों में बुनियादी सुविधाओं का सरकार करेगी विस्तार

देहरादून। चीन सीमा से सटे उत्तराखंड के गांवों में पलायन की वास्तविक स्थिति क्या है, इसके कारण क्या हैं और रिवर्स पलायन को क्या-क्या हो सकता है, ऐसे तमाम बिंदुओं को लेकर अब वास्तविक तस्वीर सामने आएगी।
राज्य सरकार के निर्देश पर पलायन निवारण आयोग ने चीन सीमा से 100 किलोमीटर की परिधि में आने वाले राज्य के गांवों का सर्वे प्रारंभ कर दिया है। इनमें पांच विकासखंडों के 150 गांव शामिल हैं। सर्वे के बाद आयोग अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपेगा। इसमें सीमावर्ती गांवों में रिवर्स पलायन के दृष्टिगत सुझाव भी दिए जाएंगे।
उत्तराखंड की 375 किलोमीटर लंबी सीमा चीन से सटी है। राज्य के अन्य हिस्सों की तरह यहां के गांव भी पलायन की मार से अछूते नहीं हैं। आजीविका व मूलभूत सुविधाओं के अभाव में सीमावर्ती गांवों से पलायन हो रहा है। बदली परिस्थितियों में सीमावर्ती गांवों से पलायन किसी भी दशा में उचित नहीं कहा जा सकता। कारण ये कि वहां के लोग प्रथम सुरक्षा प्रहरी की भूमिका भी निभाते हैं।
केंद्र ने सीमावर्ती गांवों को प्रथम गांव मानते हुए इसी हिसाब से इनके विकास को वाइब्रेंट विलेज कार्यक्रम शुरू किया है। इसमें राज्य के 51 गांव शामिल हैं। साथ ही प्रदेश सरकार ने भी सीमावर्ती गांवों के विकास पर ध्यान केंद्रित किया है। वहां के गांवों की वास्तविक स्थिति का अध्ययन करने के लिए पलायन निवारण आयोग को सर्वे का जिम्मा सौंपा गया है।
पलायन निवारण आयोग के उपाध्यक्ष डॉ. एसएस नेगी के अनुसार आयोग ने चीन सीमा से 100 किमी की परिधि में आने वाले गांवों के सर्वे का निश्चय किया है, इनमें वाइब्रेंट विलेज कार्यक्रम में शामिल गांव भी हैं। भटवाड़ी विकासखंड के गांवों से यह शुरुआत की गई है।
वहां आयोग के सदस्य रामप्रकाश पैन्यूली की अध्यक्षता में टीम सर्वे में जुटी है। इसके बाद जिोशीमठ, मुनस्यारी, धारचूला व कनालीछीना विकासखंडों के गांवों का सर्वे होगा। प्रयास है कि अगले वर्ष मार्च से पहले सरकार को इसकी रिपोर्ट सौंप दी जाए।
डॉ. नेगी के अनुसार सर्वे में देखा जा रहा है कि इन गांवों में कितने लोग रह रहे हैं, कितनों ने पलायन किया, पलायन के कारण क्या हैं, पलायन थामने को क्या हो सकता है, गांवों में मूलभूत सुविधाओं की स्थिति, आजीविका, खेती-बागवानी, पर्यटन समेत अन्य क्षेत्रों में क्या कार्य हो सकते हैं। ऐसे बिंदुओं पर जानकारी ली जा रही है।

Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

GET IN TOUCH

संपादक: गुलाब सिंह
पता: हल्द्वानी, उत्तराखण्ड
दूरभाष: +91 9412960065
ई-मेल: [email protected]

Select Language

Advertisement

© 2023, CWN (City Web News)
Get latest Uttarakhand News updates
Website Developed & Maintained by Naresh Singh Rana
(⌐■_■) Call/WhatsApp 7456891860