हल्द्वानी

हल्द्वानी एमबीपीजी कॉलेज में छात्रसंघ चुनाव से पहले बढ़ा तनाव, हिंसा की घटनाएं आए दिन

हल्द्वानी: हल्द्वानी का एमबीपीजी कॉलेज इन दिनों छात्रसंघ चुनावों को लेकर लगातार सुर्खियों में बना हुआ है। कॉलेज परिसर में आए दिन हो रही हिंसक घटनाएं प्रशासन के लिए चिंता का विषय बन गई हैं। शनिवार को कॉलेज में दो छात्र गुटों के बीच हुए खूनी संघर्ष में एक छात्र नेता की जमकर पिटाई कर दी गई और उसके कपड़े फाड़ दिए गए।
क्या हुआ था?
शनिवार को कॉलेज के कस्तूरबा भवन और पुस्तकालय के पास छात्रों के दो गुटों में मामूली कहासुनी के बाद मारपीट शुरू हो गई। इस दौरान छात्रसंघ के एक पदाधिकारी को अन्य छात्रों ने घेरकर जमकर पीटा और उसके कपड़े फाड़ दिए। छात्र नेता शिक्षकों के सामने रोने लगा। बाद में अन्य छात्र नेताओं के हस्तक्षेप के बाद मामला किसी तरह शांत हुआ।
क्या है वजह?
छात्र नेताओं का कहना है कि कॉलेज में प्रचार के दौरान छात्र नेता और छात्र संघ पदाधिकारी के बीच किसी बात को लेकर बहस हो गई थी जिसमें में बाद में हाथापाई शुरू हो गई। इस दौरान आसपास चल रहीं कक्षाओं से छात्र-छात्राएं बाहर निकल आए।
प्रशासन की चिंता
घटना के बाद कॉलेज प्रशासन सकते में आ गया। प्रोटेक्टर कमेटी और कई प्राध्यापक मौके पर पहुंचे और किसी तरह मामला शांत कराया गया। कॉलेज प्रशासन ने डीएम और एसएसपी को पत्र लिखकर कॉलेज परिसर में पीएसी तैनात करने की मांग की है। प्रशासन का मानना है कि छात्रसंघ चुनाव से पहले ही कॉलेज में अराजकता का माहौल बन गया है और इसे रोकने के लिए कड़े कदम उठाने की जरूरत है। इससे पहले भी कॉलेज प्रशासन ने कोतवाली में पत्र भेजकर महिला और पुरुष पुलिस कर्मियों को कॉलेज में तैनात करने की मांग कर चुका है।
चिंताजनक स्थिति
एमबीपीजी कॉलेज में हो रही हिंसक घटनाएं शिक्षा के मंदिर को बदनाम कर रही हैं। छात्रों के बीच हो रही इस तरह की लड़ाई-झगड़े से न सिर्फ छात्रों का भविष्य बर्बाद हो रहा है बल्कि कॉलेज का शैक्षणिक माहौल भी खराब हो रहा है।
क्या किया जाना चाहिए?
इस स्थिति से निपटने के लिए प्रशासन को कुछ कड़े कदम उठाने होंगे। जैसे कि:
* कॉलेज में सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करना: कॉलेज परिसर में सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएं और सुरक्षा गार्डों की संख्या बढ़ाई जाए।
* छात्रों को काउंसलिंग देना: छात्रों को काउंसलिंग देकर उन्हें हिंसा से दूर रहने के लिए प्रेरित किया जाए।
* दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई: जो भी छात्र हिंसा में शामिल पाए जाते हैं, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए।
* शिक्षकों और अभिभावकों की भूमिका: शिक्षकों और अभिभावकों को छात्रों को समझाने की जरूरत है कि हिंसा से कोई समस्या का समाधान नहीं होता है।

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