प्राचीन समय में अन्न की विविधता ही हमारे स्वास्थ्य का मूल आधार थी: आचार्य बालकृष्ण
हरिद्वार। पतंजलि आयुर्वेद हॉस्पिटल तथा पतंजलि अनुसंधान संस्थान के संयुक्त तत्वाधान में पतंजलि विश्वविद्यालय के सभागार में ‘मिलेट महोत्सव-परम्परा और नवाचार’ विषय पर एकदिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। आयुष मंत्रालय भारत सरकार द्वारा पतंजलि आयुर्वेद हॉस्पिटल को सेंटर ऑफ एक्सिलेंस चुना गया है। जिसके अन्तर्गत इस कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस अवसर पर कैबिनेट मंत्री सौरभ बहुगुणा ने कहा कि स्वामी रामदेव तथा आचार्य बालकृष्ण विजनरी व्यक्तित्व हैं। आज हम मिलेट्स से होने वाले लाभ पर जो चर्चा कर रहे हैं उसे इन्होंने 15 वर्ष पहले ही बता दिया था। योग, आयुर्वेद और गौ-संरक्षण को पतंजलि ने ही एक विजन के साथ देश की जनता के समक्ष रखा।
उन्होंने कहा कि मिलेट्स में प्राकृतिक रूप से पोषक तत्व पाए जाते हैं। किन्तु हमने अपने पूर्वजों द्वारा बताई गई प्राकृतिक चीजें छोड़कर अप्राकृतिक चीजों पर विश्वास करना शुरू कर दिया। उन्होंने कहा कि मिलेट्स के प्रयोग से एनर्जी लेवल स्वतः ही बढ़ जाता है, आप बॉडी कम्पोजिशन में स्वयं अंतर महसूस कर सकते हैं।
इस अवसर पर स्वामी रामदेव महाराज ने कहा कि आज लगभग 80 प्रतिशत लोगों में पोषण तथा विटामिन्स की कमी है। अहमें अपनी प्रकृति ओर जड़ों की ओर लौटने की आवश्यकता है। यह मिलेट महोत्सव इसका एक पक्ष है। स्वामी रामदेव ने कहा कि मिलेट महोत्सव केवल एक दिन का उत्सव नहीं होना चाहिए। अपितु नैरोग्यता प्राप्त करने के लिए हमें मोटे अनाज को अपने दैनिक आहार में शामिल करना ही होगा। उन्होंने बाजरा, तिल, अलसी सहित विभिन्न मोटे अनाज के गुण भी बताए और उपस्थित लोगों को प्रतिज्ञा दिलाई कि अपने दैनिक जीवन में मिलेट्स का प्रयोग करके स्वस्थ, समृद्ध, व्यक्ति, परिवार, समाज एवं विश्व के निर्माण में अपनी भूमिका निभाएँगे।
आचार्य बालकृष्ण महाराज ने कहा कि प्रधानमंत्री का ड्रीम प्रोजेक्ट है कि मोटे अनाज के द्वारा लोगों की बीमारी को भगाना तथा किसानों की आय को बढ़ाना है। यही कार्य आज से 15 वर्ष पहले स्वामी रामदेव के नेतृत्व में शुरू किया गया था। उन्होंने कहा कि आज पूरी दुनिया योग का अनुसरण कर रही है। योग रूपी बीज को वृक्ष बनाने का कार्य इसी पतंजलि परिसर से स्वामी रामदेव महाराज के नेतृत्व में हुआ। इसी तरह यह मिलेट भी पतंजलि परिसर से निकलकर पूरी दुनिया के आकर्षण का केन्द्र बनेगा।
आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि प्राचीन समय में अन्न की विविधता ही हमारे स्वास्थ्य का मूल आधार था। हमारे पूर्वजों को पता था कि सभी पोषक तत्व इन्हीं मोटे अनाज में निहित हैं। मल्टी विटामिन्स, विविध प्रकार के फूड सप्लीमेंट्स तथा टॉनिक इत्यादि उस समय नहीं हुआ करते थे। धीरे-धीरे हमारा सारा भोजन गेहूँ और चावल तक ही सिमट गया। उन्होंने कहा कि हम मिलेट महोत्सव से स्वास्थ्य का संदेश दें तथा अपने दैनिक आहार में मोटे अनाज को प्रमुखता से शामिल करें।
कार्यक्रम में उत्तराखण्ड आयुर्वेद विश्वविद्यालय के कुलपति डा.सुनील कुमार जोशी ने कहा कि विविध असाध्य रोगों से ग्रस्त रोगी मल्टीग्रेन आटे का प्रयोग कर अपने दैनिक जीवन को बेहतर बना सकते हैं। जोशी ने कहा कि हम सामान्य रूप से मरीजों को पतंजलि का नवरत्न आटा प्रयोग करने की सलाह देते हैं। इसमें विशेष बात यह है कि यह बाजार में आसानी से उपलब्ध हो जाता है। उन्होंने कहा कि गेहूँ व चावल की फसल ओलावृष्टि या अत्यधिक बारीश से खराब हो सकती है किन्तु मोटे अनाज की फसल पर इसका कोई विशेष प्रभाव नहीं पड़ता। उन्होंने कहा कि हम अपने दैनिक आहार में एक बार मिलेट्स का भोजन जरूर करें।
डायरेक्टर ऑफ आयुर्वेद, उत्तराखण्ड सरकार डा.अरुण कुमार त्रिपाठी तथा पतंजलि आयुर्वेद कॉलेज के प्राचार्य डा.अनिल कुमार ने मिलेट महोत्सव पर व्याख्यान दिया। पतंजलि अनुसंधान संस्थान के प्रमुख वैज्ञानिक डा.अनुराग वार्ष्णेय ने मिलेट्स की वैज्ञानिक पहल का संक्षित परिचय दिया। पतंजलि विश्वविद्यालय के प्रति-कुलपति डा.महावीर ने सभी आगन्तुकों का धन्यवाद ज्ञापित किया।
प्रथम तकनीकी सत्र में इण्डियन मिलेट इनिशियेटिव के चेयरमैन डा.सत्येन यादव, पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित नेक राम शर्मा, पतंजलि अनुसंधान संस्थान के डी-साइंटिस्ट डॉ. भास्कर जोशी, फूड टेक्नोलॉजी हॉर्टिकल्चर प्रोड्यूज मैनेजमेंट इंस्टीट्यूट की इंजीनियर नेहा धीमान ने मिलेट्स के महत्व तथा पोषक के तौर पर इनकी आवश्यकता पर व्याख्यान दिया। प्रथम सत्र के अध्यक्ष आचार्य नरेन्द्र देव कृषि विश्वविद्यालय, फैजाबाद के पूर्व कुलपति डॉ. जीत सिंह संधु तथा पतंजलि कृषक समृद्धि कार्यक्रम के निदेशक डा.अशोक मेहता रहे।
द्वितीय तकनीकी सत्र में पतंजलि हर्बल रिसर्च डिविजन की प्रमुख डा.वेदप्रिया आर्य ने समापन व्याख्यान दिया। इस सत्र के सत्राध्यक्ष इण्डियन मिलेट इनिशियेटिव के चेयरमैन डा.सत्येन यादव तथा फूड टेक्नोलॉजी हॉर्टिकल्चर प्रोड्यूज मैनेजमेंट इंस्टीट्यूट की इंजीनियर नेहा धीमान रही। कार्यक्रम में पतंजलि आयुर्वेद कॉलेज के छात्र-छात्राओं ने फूड स्टॉल के माध्यम से मिलेट्स के विभिन्न व्यंजन परोसे जिसकी सबने बहुत सराहना की। साथ ही विद्यार्थियों ने पोस्टर प्रदर्शनी द्वारा मिलेट्स के महत्व पर प्रकाश डाला।
नैरोग्यता प्राप्त करने मोटे अनाज को दैनिक आहार में शामिल करना ही होगा: स्वामी रामदेव
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