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नई दिल्ली

सरकारी संगठनों में मेडिकल रिम्बर्समेंट घोटाला? 1066 दावे खारिज, चौंकाने वाले खुलासे!

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RTI के तहत सरकारी मेडिकल रिम्बर्समेंट दावों की चौंकाने वाली रिपोर्ट! 9,867 में से 1066 दावे ख़ारिज हुए, जबकि कुछ व्यक्तियों ने किए असामान्य रूप से अधिक दावे। जानें क्या कहता है RTI डेटा।

हल्द्वानी। सरकारी संगठनों में चिकित्सा प्रतिपूर्ति (Medical Reimbursement) की दावा प्रक्रिया पर सूचना अधिकार (RTI) के तहत मिली जानकारी ने एक चौंकाने वाली तस्वीर पेश की है। हेमंत सिंह गौनिया द्वारा प्राप्त इन आंकड़ों के अनुसार, पिछले साल कुल 9,867 दावों में से 1,066 से अधिक दावे केवल दस्तावेजी कमियों के कारण खारिज कर दिए गए। यह दर्शाता है कि प्रशासनिक व्यवस्था और दावेदारों के मार्गदर्शन में बड़े सुधार की आवश्यकता है।


अस्वीकृति के मुख्य कारण और आंकड़े
रिपोर्ट बताती है कि कुल 9,867 दावों में से 8,037 दावों का भुगतान किया गया, जबकि केवल 24 दावे लंबित हैं। अस्वीकृत दावों में 793 सरकारी कर्मचारियों के थे, और 273 पेंशनरों के। अस्वीकृति के प्रमुख कारणों में इलाज संबंधी दस्तावेजों की कमी, दावों की राशि में बड़ा अंतर, और अनिवार्य फॉर्म ठीक से न भरना शामिल रहे। यह तथ्य बताता है कि भले ही 81% भुगतान हुए, लेकिन बड़ी संख्या में लोगों को सही कागज़ात न होने से हताश होना पड़ा।
असामान्य दावों ने बढ़ाई चिंता
रिपोर्ट में एक चिंताजनक पहलू सामने आया है: कुछ सरकारी कर्मचारियों द्वारा असामान्य रूप से अधिक दावे प्रस्तुत किए गए। उदाहरण के लिए, श्री मनीष सिंह चौहान ने 47 और श्रीमती पूनम गुप्ता ने 32 दावे दर्ज किए। इसी तरह, पेंशनरों में श्री चमन सिंह ने 43 और श्री महेंद्र सिंह चौधरी ने 34 दावे प्रस्तुत किए। इतने अधिक व्यक्तिगत दावों ने सार्वजनिक धन के उपयोग की निगरानी पर सवाल खड़े कर दिए हैं और पूरी मेडिकल रिम्बर्समेंट प्रक्रिया की ऑडिटिंग की मांग को बल दिया है।
पारदर्शिता और सुधार की मांग
आरटीआई कार्यकर्ता हेमंत सिंह गौनिया ने इन जानकारियों को पारदर्शिता बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया। उन्होंने कहा कि नागरिकों को यह जानने का पूरा अधिकार है कि सार्वजनिक धन का उपयोग कैसे हो रहा है। विशेषज्ञों का भी मानना है कि दावेदारों को बेहतर मार्गदर्शन देकर और प्रक्रिया को सरल बनाकर इन अस्वीकृति के आंकड़ों में भारी कमी लाई जा सकती है। इस रिपोर्ट ने एक बार फिर आरटीआई कानून की अहमियत को रेखांकित किया है, जो लोकतंत्र को मजबूत करता है। संबंधित विभागों को अब इस रिपोर्ट के आधार पर दावा प्रक्रिया में तुरंत सुधार करने के लिए कदम उठाने चाहिए।

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संपादक: गुलाब सिंह
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