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उत्तराखण्ड

मॉडिफाई वाहन होंगे सीज, चलेगा प्रदेश भर में अभियान

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वाहनों का मूल डिजाइन बदलकर स्टंटबाजी और ऑफ़रोडिंग वाहनों के खिलाफ चलेगा विशेष अभियान

देहरादून। भीड़ में कुछ अलग दिखने की चाह में कार और बाइक मॉडिफाई कराने वालों की अब खैर नहीं है। वाहन के मूल डिजाइन और लुक में बदलाव कराना अवैध है। ऐसा करने वालों के खिलाफ परिवहन विभाग भी शिकंजा कसने जा रहा है।
मोटर वाहन अधिनियम में नियम बनाए गए हैं। जिनका उल्लंघन करने पर भारी जुर्माना या जेल तक हो सकती है। दून निवासी बाइकर की अलीगढ़ में यमुना एक्सप्रेस-वे पर दुर्घटना में हुई मौत के बाद पुलिस, यातायात पुलिस से लेकर परिवहन विभाग तक कठघरे में है।
वाहनों को मोडिफाई कराकर यह बेधड़क सड़क पर दौड़ रहे। कई वाहनों की उम्र पूरी हो चुकी है। लेकिन मोडिफाई कर स्टंटबाजी से लेकर ऑफ रोडिंग करते हैं। जबकि वाहन में हर तरह की मोडिफिकेशन को अवैध माना जाता है।
हालांकि, कुछ ऐसे बदलाव जरूर हैं, जो कराए जा सकते हैं, लेकिन उसके लिए भी परिवहन विभाग से अनुमति लेना जरूरी है। बदलाव के बाद वाहन के पंजीकरण प्रमाण-पत्र (आरसी) में इनका उल्लेख भी किया जाता है।
मोटर व्हीकल एक्ट 1988 के सेक्शन-52 के तहत नियम है कि मोटर वाहन का कोई भी मालिक वाहन को इस तरह नहीं बदलेगा कि पंजीकरण प्रमाण-पत्र में लिखी मूल जानकारी से अलग हो। सोमवार से राज्य में विशेष अभियान चलाकर मॉडिफाई किए गए वाहनों को सीज करने की कार्रवाई की जाएगी।

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मॉडिफिकेशन से पहले पढ़ लीजिये नियम
-मोटन वाहन अधिनियम-1988 के अनुसार भारत में लगभग सभी कारों और बाइक को मॉडिफाई करना अपराध है।

-यदि वाहन के लुक में किसी भी तरह का कोई बड़ा बदलाव किया जाता है, जिसमें उसका डिजाइन या लुक निर्माता द्वारा बनाए मूल डिजाइन से अलग दिखाई देगा, तो उसमें वाहन मालिक को दोषी ठहराया जा सकता है।
-उदाहरण के लिए बंपर या फेंडर को पूरी तरह से बदलना, लाइट बदलना, साइलेंसर बदलना आदि जैसे छोटे लगने वाले मोडिफिकेशन भी गैर-कानूनी हैं।
-कार या बाइक की पूरी किट को बदलने पर तो अपराध और बढ़ जाता है।
-इसके अलावा कार की खिड़कियों पर काले शीशे की फिल्म (टिनिंग) करने से भी बचना चाहिए।
-नियम कहता है कि पिछली विंडस्क्रीन में 75 प्रतिशत विजुअलिटी और विंडो के लिए 50 प्रतिशत विजुअलिटी होनी चाहिए।
-शोर मचाने वाले साइलेंसर पर भी प्रतिबंध है।
-वाहन का रंग बदलना सबसे बड़ा अपराध है।
-यदि आप ऐसा करते भी हैं, तो आपको उससे पहले आरटीओ से अनुमति लेनी होगी और उस रंग को अपनी आरसी में भी बदलना होगा।

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संपादक: गुलाब सिंह
पता: हल्द्वानी, उत्तराखण्ड
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