हल्द्वानी । 20 अप्रैल को वर्ष का पहला सूर्यग्रहण लगने जा रहा है। यह दुर्लभ सूर्यग्रहण होगा, जो भारत में नहीं देखा जा सकेगा, बल्कि दुनिया के सीमित हिस्सों में दिखेगा। आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान एरीज के पूर्व निदेशक डॉ. वहाब उद्दीन ने बताया कि इस वर्ष सिर्फ चार ग्रहण लगेंगे। इनमें सूर्य पर दो ग्रहण लगेंगे, जबकि दो चंद्रग्रहण होंगे।
20 अप्रैल को लगने जा रहा ग्रहण संकर सूर्यग्रहण होगा। इस ग्रहण का पाथ संकरा होने के कारण इसे संकर ग्रहण कहा जाता है। जिस कारण इसे दुर्लभ भी माना जाता है। जिसका पूर्णता का मार्ग उत्तर पश्चिम केप, पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया के एक दूरस्थ प्रायद्वीप के ऊपर से होकर जाएगा। इसके अलावा पूर्वी तिमोर के पूर्वी भागों में ग्रहण का प्रभाव रहेगा। डामर द्वीप में यह ग्रहण नजर आने वाला है। अंत में इंडोनेशिया में पापुआ प्रांत के कुछ ही हिस्सों में यह दुर्लभ सूर्य ग्रहण नजर आएगा।
भारत में यह ग्रहण नहीं देखा जा सकेगा। ग्रहण सामान्य मगर अद्भुत खगोलीय घटना मानी जाती है। पृथ्वी व सूर्य के बीच चंद्रमा के आ जाने से सूर्यग्रहण की खगोलीय घटना होती है।इसके ठीक 15 दिन बाद चंद्रग्रहण होगा। दूसरा सूर्यग्रहण 14 अक्टूबर को लगेगा। राशियों में होने वाले प्रभाव के लिहाज से ग्रहण अलग अहमियद रखते हो, लेकिन खगोल प्रेमियों की दृष्टि से यह सिर्फ आकर्षक घटना है। सूर्यग्रहण चार प्रकार के होते हैं।
आंशिक सूर्य ग्रहण तब होता है, जब चंद्रमा से सूर्य का केवल एक हिस्सा ढका रहता है। पूर्ण सूर्य ग्रहण में चन्द्रमा की छाया पूर्णरूप सूर्य को ढक लेती है। वैज्ञानिक लिहाज से पूर्ण सूर्य ग्रहण महत्वपूर्ण होता है।वलयाकार सूर्य ग्रहण के दौरान चंद्रमा की आंतरिक छाया पूर्णरूप से सूर्य को ढक नही पाती है और सूर्य के चारों ओर के किनारे ग्रहण से मुक्त रहते हैं। देखने में यह सूर्य ग्रहण बेहद सुंदर होता है। हाइब्रिड सूर्य ग्रहण को इस तरह से समझ सकते हैं। दरअसल पृथ्वी की सतह घुमावदार है। कभी-कभी ग्रहण वलयाकार और कुल के बीच स्थानांतरित हो सकता है क्योंकि चंद्रमा की छाया दुनिया भर में चलती है। इसे संकर सूर्य ग्रहण कहते हैं।