उत्तराखण्ड
उत्तराखंड सरकारी कर्मियों के वेतन की अब हर 5 साल में होगी जाँच, रिटायरमेंट से पहले रिकवरी
उत्तराखंड सरकार ने गलत वेतन निर्धारण को रोकने के लिए नई व्यवस्था लागू की है। अब हर पांचवें साल कर्मचारियों के वेतन की जाँच होगी, और रिटायरमेंट से 3 साल पहले पूरे सेवाकाल की समीक्षा की जाएगी। गलत भुगतान पर तत्काल वसूली होगी।
देहरादून। उत्तराखंड सरकार ने राज्य के सरकारी कर्मचारियों और सहायता प्राप्त महकमों के कर्मचारियों के लिए वेतन निर्धारण की प्रक्रिया में एक बड़ी और सख्त व्यवस्था लागू कर दी है। अब प्रदेश के कर्मचारियों के वेतन की जाँच हर पाँचवें साल में अनिवार्य रूप से की जाएगी। इसके अलावा, कर्मचारी के रिटायर होने से ठीक तीन वर्ष पूर्व उसके पूरे सेवाकाल के वेतन निर्धारण की विस्तृत समीक्षा की जाएगी। यदि इस समीक्षा के दौरान कहीं भी गलत वेतन निर्धारण पाया जाता है, तो अतिरिक्त भुगतान की गई धनराशि की वसूली (रिकवरी) की प्रक्रिया तत्काल प्रभाव से शुरू कर दी जाएगी।
वित्त सचिव दिलीप जावलकर ने इस नई व्यवस्था की पुष्टि करते हुए बताया कि राज्य में गलत वेतन निर्धारण, अतिरिक्त इंक्रीमेंट देने, और त्रुटिपूर्ण प्रमोशन के मामलों में वृद्धि हुई है। इसी वजह से कई कर्मचारियों को मानक से ज्यादा भुगतान हुआ है। भविष्य में इस तरह की स्थिति और कोर्ट-कचहरी के मामलों से बचने के लिए यह पारदर्शी और जवाबदेह व्यवस्था लागू की जा रही है। इस नए नियम के दायरे में राज्य के 1.5 लाख राजकीय कर्मी, 40 हज़ार निगम कर्मचारी और 60 हज़ार से अधिक शिक्षक आएंगे।
नई व्यवस्था के तहत, सभी सरकारी विभागों को 31 जनवरी 2026 तक अपने सभी कर्मचारियों के वेतन निर्धारण की जाँच कर रिकॉर्ड को पूरी तरह से अपडेट करना होगा। जिन मामलों में वसूली होनी है, उनमें तुरंत कार्रवाई शुरू की जाएगी, हालाँकि इस दौरान कोर्ट के आदेशों का ध्यान रखा जाएगा। यदि कोई कर्मचारी कोर्ट के आदेश के कारण वसूली से बच जाता है, तो उस गलती के लिए ज़िम्मेदार संबंधित अधिकारी को उस राशि का भुगतान करना होगा।
वित्त सचिव ने साफ किया कि रिटायरमेंट के तीन वर्ष पहले वेतन निर्धारण की जाँच होने के बाद, यदि गलत वेतन का मामला सामने आता है, तो रिटायर कर्मचारी की पेंशन को भी संशोधित किया जाएगा। यह कदम सातवें वेतन आयोग की संस्तुतियों के अनुरूप वेतन ढांचे और पारदर्शिता बनाए रखने के लिए उठाया गया है। यह व्यवस्था सभी सरकारी और सहायता प्राप्त महकमों के वित्त अधिकारियों को तत्काल लागू करने के निर्देश दे दिए गए हैं।
