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उत्तर प्रदेश

प्रेमानंद महाराज की ‘भूखी दिवाली’ का भावुक किस्सा वायरल, भक्तों की आँखें नम!

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मथुरा के संत प्रेमानंद महाराज का दिवाली पर दिया गया भावुक प्रवचन वायरल। उन्होंने बताया कैसे ‘आँसुओं’ से मनाई थी अपनी दिवाली। जानें, भक्ति की सच्ची परिभाषा।

उत्तर प्रदेश के वृंदावन में श्री राधा केली कुंज आश्रम के संत प्रेमानंद महाराज का एक भावुक वीडियो सोशल मीडिया पर बड़ी तेज़ी से वायरल हो रहा है। इस वायरल वीडियो में महाराज जी ने अपने शुरुआती जीवन की दिवाली के बारे में चर्चा की, जिसे सुनकर उनके भक्तों की आँखें नम हो गईं। यह वीडियो ‘भजन मार्ग’ नामक चैनल द्वारा सोशल मीडिया पर शेयर किया गया है, जिसमें महाराज जी ने बताया कि किस तरह गरीबी और अभाव के बीच उन्होंने पर्व मनाया।


“रोटी मांगने जाते थे तो मना हो जाता था, हमारी दिवाली भूखी होती थी”
महाराज प्रेमानंद जी ने प्रवचन के दौरान पुराने दिनों को याद करते हुए कहा, “दीपावली का उत्सव देख रहे हो, हमारी दिवाली कैसी होती थी, जानते हैं? भूखी।” उन्होंने बताया कि वे भिक्षाटन के लिए जाते थे, तो कई बार लोग उन्हें रोटी देने से मना कर देते थे। लोग कहते थे, “रोटी आज मिलेगी ही नहीं, आज त्योहार है।” उन्होंने आगे कहा कि शाम के समय जब सबकी दिवाली जल रही होती थी, तब वे अंधेरे में बैठे होते थे।
‘ये आंसू हीं आपकी दीपावली है’, प्रेमानंद महाराज की भक्ति
संत प्रेमानंद महाराज ने अपने संघर्षपूर्ण दिनों का मार्मिक वर्णन करते हुए कहा कि, “न एक पैसा है, न एक व्यक्ति है, न खाने को है। आंसूओं के साथ दिवाली मन रही है।” उन्होंने कहा कि वे अपने आराध्य ‘श्रीजी’ (राधा रानी) को गोद में लेकर रोते थे और कहते थे कि “ये आंसू हीं आपकी दीपावली है।” यह किस्सा दर्शाता है कि प्रेमानंद महाराज के लिए सच्ची दिवाली का अर्थ बाहरी चमक-दमक नहीं, बल्कि प्रेम और समर्पण की आंतरिक भक्ति है। उनके ये शब्द भक्ति की सही परिभाषा बताते हैं।
बदल गया समय, अब हजारों भक्त होते हैं शामिल
हालांकि, अब समय बदल चुका है। संत प्रेमानंद महाराज के सरल और सच्चे प्रवचनों से प्रेरित होकर आज हजारों लोग उनसे जुड़ रहे हैं। उनके श्री राधा केली कुंज आश्रम के बाहर अब हर दिन भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है, खासकर त्योहारों के समय। महाराज जी के प्रवचनों को सुनने और उनके दर्शन पाने के लिए लोग दूर-दराज से वृंदावन आ रहे हैं। इस बदलते समय के साथ, महाराज जी ने दीपावली मनाने के आध्यात्मिक और भक्तिपूर्ण तरीके का वर्णन किया है, जहाँ ‘भक्ति कर दीप, प्रेम करि बाती’ ही सच्ची रोशनी है।

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संपादक: गुलाब सिंह
पता: हल्द्वानी, उत्तराखण्ड
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