धर्म-कर्म/मेले-पर्व

समृद्धि व निर्मलता का प्रतीक है वसंत: डॉ पण्ड्या

विभिन्न यूट्यूब चैनल, अखण्ड ज्योति (नेपाली), यज्ञ ज्योति पत्रिका आदि का विमोचन

हरिद्वार। गायत्री तीर्थ शांतिकुुंज में गणतंत्र दिवस एवं वसंत महापर्व राष्ट्र को सबल, सशक्त एवं समर्थ बनाने के संकल्प के साथ मनाया गया। इस अवसर पर अखिल विश्व गायत्री प्रमुखद्वय श्रद्धेय डॉ. प्रणव पण्ड्या एवं श्रद्धेया शैलदीदी ने सैकड़ों लोगों की मौजूदगी राष्ट्र ध्वज का पूजन कर फहराया। तो वहीं उल्लास के साथ धर्म ध्वजा भी फहराया। सरस्वती पूजन, गुरुपूजन एवं पर्व पूजन के साथ हजारों साधकों ने युगऋषिद्वय की समाधि में पुष्पांजलि अर्पित कीं। अखिल विश्व गायत्री परिवार प्रमुख श्रद्धेय डॉ प्रणव पण्ड्या ने वसंत पंचमी से फाल्गुन पूर्णिमा तक चलने वाले चालीस दिवसीय नवसृजन गायत्री महापुरश्चरण साधना के लिए देश-विदेश के हजारों साधकों को आनलाइन संकल्पित कराया। इस दौरान शांतिकुंज मीडिया द्वारा संचालित विभिन्न यूट्यूब चैनल्स, वेबसाइट, त्रैमासिक अखण्ड ज्योति पत्रिका (नेपाली), युगधर्म बुलेटिन, यज्ञ ज्योति पत्रिका आदि का विमोचन किया गया।
वसंतोत्सव के मुख्य कार्यक्रम को संबोधित करते हुए अखिल विश्व गायत्री परिवार प्रमुख श्रद्धेय डॉ. प्रणव पण्ड्या ने कहा कि वसंत का पर्व प्राणी मात्र में समृद्धि, सुन्दरता एवं निर्मलता का द्योतक है। इस दिन ज्ञान की देवी माता सरस्वती की विशेष पूजा अर्चना की जाती है, जिससे विचार में प्रखरता आये और वह सकारात्मक दिशा में ही आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करें। देवसंस्कृति विश्वविद्यालय के कुलाधिपति डॉ. पण्ड्या ने कहा कि वसंत ज्ञान चेतना का महापर्व है। प्रकृति और जीवन का शृंगार करता है वसंत। प्रकृति व परमेश्वर के मिलन का पर्व है। उन्होंने कहा कि लोगों में जब संस्कृति आती है, तब उनमें उदारता, सेवाभाव जैसे सद्गुण विकसित होने लगते हैं। डॉ पण्ड्या ने जोशीमठ के भूधसांव पर चिंता व्यक्त करते हुए गायत्री परिवार की ओर से यथासंभव सहयोग करने का आश्वासन दिया।
संस्था की अधिष्ठात्री श्रद्धेया शैलदीदी ने कहा कि गणतंत्र दिवस और वसंत प्रेरणाओं का पावन दिन। साथ ही ज्ञान की देवी माँ सरस्वती का अवतरण दिन है और इन्हीं से ज्ञान का विस्तार हुआ। शैलदीदी ने कहा कि भौतिक संपदा की तुलना में आत्मिक व आध्यात्मिक प्रगति का महत्त्व ज्यादा है। उन्होंने कहा कि वसंत का नाम गुरु के प्रति निष्ठा, आदेश, समर्पण है। श्रद्धेया शैलदीदी ने युग निर्माण मिशन का आधार साहित्य एवं साधना को बताया। मुख्य कार्यक्रम का संचालन श्री श्याम बिहारी दुबे एवं श्री उदय किशोर मिश्र ने किया।
गायत्री महापुरश्चरण सामूहिक साधना प्रारंभ –
7 मार्च तक चलने वाले विश्व स्तरीय 40 दिवसीय गायत्री महापुरश्चरण साधना सत्र का गायत्री परिवार प्रमुख डॉ. पण्ड्या ने साधकों को आनलाइन संकल्प कराने के साथ प्रारंभ किया, जिसमें अनेक देशों के साधक इस महापुरश्चरण में भागीदारी कर रहे हैं।
विभिन्न संस्कार निःशुल्क सम्पन्न –
गायत्री परिवार प्रमुखद्वय ने सैकड़ों लोगों को गुरुदीक्षा दी, तो वहीं देश के विभिन्न राज्यों से आये बटुकों ने यज्ञोपवीत संस्कार कराये। विभिन्न राज्यों से आये नवदम्पतियों ने विवाह के बंधन में बँधे। नामकरण, मुण्डन, विद्यारंभ सहित कई संस्कार बड़ी संख्या में सम्पन्न हुए। समस्त संस्कार निःशुल्क सम्पन्न कराये गये। सायं दीपमहायज्ञ में पूज्य आचार्यश्री के विचारों को जन-जन तक पहुंचाने के संकल्प लिये गये।

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