देहरादून
ऋषिकेश आश्रम विवाद: इंफ्लुएंसर तनु रावत पर अश्लील वीडियो बनाने का आरोप, हिंदू संगठन ने किया विरोध
ऋषिकेश की मशहूर इन्फ्लुएंसर तनु रावत इंस्टा वीडियो को लेकर विवादों में। हिंदू संगठन ने उनके आश्रम के फ्लैट में छोटे कपड़े पहनकर वीडियो बनाने का विरोध किया। ऋषिकेश की संस्कृति पर सवाल।
ऋषिकेश: योग और आध्यात्म की नगरी ऋषिकेश में मशहूर सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर तनु रावत एक वीडियो को लेकर बड़े विवादों में घिर गई हैं। बीती रात राष्ट्रीय हिंदू शक्ति संगठन के कुछ नेता तनु रावत के घर जय राम योग आश्रम स्थित फ्लैट पर पहुँचे और उनकी एक इंस्टाग्राम वीडियो का कड़ा विरोध जताया। इस दौरान तनु रावत और संगठन के नेताओं के बीच तीखी बहस भी देखने को मिली।
“छोटे कपड़ों” में वीडियो बनाने और आश्रम की पवित्रता भंग करने का आरोप
संगठन के प्रदेश अध्यक्ष राघव भटनागर ने तनु रावत पर आरोप लगाते हुए कहा कि उनकी वीडियो अशोभनीय है और यह धार्मिक भावनाओं को आहत करती है। उन्होंने कहा कि तनु रावत जिस जय राम योग आश्रम में रहती हैं, वह राम के नाम से जुड़ा है और इसका उद्घाटन स्वामी अवधेशानंद गिरि महाराज जैसे संत ने किया था। इसके बावजूद, इन्फ्लुएंसर तनु रावत पूरे कंपाउंड, कॉरिडोर और छत पर छोटे कपड़ों में घूमकर अश्लील वीडियो बनाती हैं, जिससे आश्रम की पवित्रता भंग हो रही है। उनके यूट्यूब पर 4.55 मिलियन और इंस्टाग्राम पर 5 मिलियन फॉलोअर्स हैं, जिसके चलते यह मुद्दा और भी गंभीर हो गया है।
पारंपरिक और ग्लैमरस, दोनों तरह के वीडियो बनाती हैं तनु रावत
माथे पर त्रिपुंड लगाकर और पारंपरिक लुक में शिव-कृष्ण भक्ति से जुड़े रील्स बनाने के लिए मशहूर तनु रावत, अपनी शॉर्ट्स और हिंदी फिल्मों के गानों पर ग्लैमरस वीडियो के कारण भी लाखों व्यूज पाती हैं। जानकार बताते हैं कि सोशल मीडिया से उनकी मासिक कमाई लगभग 15 से 20 लाख रुपए है। संगठन का आरोप है कि उनका यह दोहरा व्यवहार धार्मिक स्थल के महत्व को कम कर रहा है और ऋषिकेश की छवि खराब कर रहा है। पुलिस ने मामले की सूचना मिलने पर हस्तक्षेप किया और दोनों पक्षों को शांत कराया।
क्या ऋषिकेश ‘कसोल’ की राह पर है? संस्कृति पर उठे सवाल
इस विवाद ने एक बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है: क्या ऋषिकेश अब अपनी पहचान खोकर हिमाचल के पर्यटक स्थल ‘कसोल’ की तरह बदलता जा रहा है? स्थानीय लोगों का मानना है कि उत्तराखंड की इस धर्मनगरी में तेजी से बढ़ते पर्यटन, रियल एस्टेट के व्यापार और सोशल मीडिया कल्चर ने साधु-संतों की गूँज को कम कर दिया है। युवाओं का यहाँ पार्टी और रील शूट के लिए आना, स्थानीय आध्यात्मिकता और संस्कृति को पीछे धकेल रहा है। स्थानीय प्रशासन को तुरंत शहर की धार्मिक और सांस्कृतिक मर्यादा बनाए रखने के लिए सख्त कदम उठाने की जरूरत है।
