धर्म-कर्म/मेले-पर्व

श्री श्री बालाजी धाम सिद्धबलि हनुमान, नर्मदेश्वर महादेव मंदिर में छठी महोत्सव पर सुंदरकांड पाठ का आयोजन

छठी के दिन लड्डू गोपाल करते हैं सबकी मनोकामना पूर्ण: आलोक गिरी

हरिद्वार- श्री तपोनिधि पंचायती अखाड़ा निरंजनी के स्वामी आलोक गिरी महाराज ने कहा कि धार्मिक मान्यताओं के अनुसार जन्माष्टमी के दिन भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ और कृष्ण छठी के दिन नामकरण। इसीलिए जन्माष्टमी की तरह ही कृष्ण भक्तों के बीच कृष्ण छठी का भी विशेष महत्व होता है और भगवान श्रीकृष्ण जन्माष्टमी और हिंदू धर्म में इसका विशेष महत्व है। मान्यता है कि इस दिन लड्डू गोपाल का विधि-विधान से पूजन करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। छठी महोत्सव के दौरान शाम को सुंदरकांड पाठ का भी आयोजन किया गया।‌ श्री श्री बालाजी धाम सिद्धबलि हनुमान नर्मदेश्वर महादेव मंदिर, जगजीतपुर में मंगलवार को भगवान श्रीकृष्ण का छठी महोत्सव धूमधाम से मनाया गया। कार्यक्रम की शुरुआत में लड्डू गोपाल की विशेष पूजा अर्चना की गई। भगवान को भोग लगाने के उपरांत संतों एवं आमजन के लिए भंडारा शुरू किया गया। इस मौके पर छठी महोत्सव का महत्व बताते हुए आलोक गिरी महाराज ने कहा कि आमतौर पर हिंदू धर्म में किसी बच्चे के जन्म के बाद उसकी छठी मनाई जाती है और बिल्कुल इसी तरह लड्डू गोपाल के जन्म के बाद कृष्ण छठी मनाने की परंपरा है। भगवान कृष्ण को माखन-मिश्री अतिप्रिय है और उन्हें माखन-मिश्री का ही भोग लगाया जाता है. लेकिन छठी के दिन कढ़ी-चावल बनाने की परंपरा है और इस दिन लड्डू गोपाल को कढ़ी-चावल का ही भोग लगाया जाता है। ऐसे में आपके घर में भी लड्डू गोपाल हैं तो उन्हें माखन-मिश्री के साथ ही कढ़ी-चावल का भी भोग अवश्य लगाएं। छठी के दिन बच्चों का नामकरण भी किया जाता है। ऐसे में जो लोग लड्डू गोपाल की पूजा करते हैं वह उन्हें अपनी पसंद का कोई भी नाम दे सकते हैं। स्वामी आलोक गिरी महाराज ने कहा हिंदू धर्म में किसी बच्चे के जन्म के 6 दिन बाद छठी मनाने की परंपरा है और इसका विशेष महत्व भी है। पौराणिक कथाओं के अनुसार छठी के दिन षष्ठी देवी का पूजन किया जाता है और मान्यता है कि ऐसा करने से बच्चे का स्वास्थ्य अच्छा रहता है। पुराणों के मुताबिक षष्ठी देवी को बच्चों की अधिष्ठात्री देवी माना गया है और उनकी कृपा से राजा प्रियव्रत का मृत पुत्र फिर से जीवित हो गया था। इसलिए बच्चे के जन्म के बाद छठी पूजने की परंपरा है। उन्होंने बताया कि कलयुग में दुख के तीन कारण हैं, समय, कर्म और स्वभाव। मनुष्य को समय का पाबंद, सदैव सत्कर्म में और स्वाभाव में सरलता लानी चाहिए। ऐसा नहीं होने पर मनुष्य सदैव दुखी ही रहता है। इस मौके पर महामंडलेश्वर ललितानंद गिरी, श्रीमहंत केदार गिरी, महामंडलेश्वर कपिल मुनि, भारत युवा साधु समाज से स्वामी रविदेव शास्त्री, पूजारी बाबा मनकामेश्वर गिरी, मधुर वन महाराज, महंत नरेश गिरी, महंत गंगा गिरी, महंत राकेश गिरी, महंत सुखदेव पुरी, बाबा मोतीराम, रानीपुर विधायक आदेश चौहान, गंगा सभा अध्यक्ष पं नितिन गौतम, डॉ संजय पालीवाल, पार्षद नागेन्द्र राणा, प्रदुम्न सिंह, प्रदीप गुर्जर, हरीश चौधरी, ओमप्रकाश मलिक, संदीप प्रधान, संजय गुर्जर, डॉ सुनील बत्रा, काली प्रसाद साह, विष्णु देव ठेकेदार, शशि भारद्वाज, विकास मास्टर, राहुल शर्मा, कालिका प्रसाद कोठारी, कामेश्वर सिंह यादव, रमेश रावत, विक्रम सिंह नाचीज, सुनील सिंह, विकास प्रधान, आशीष पंत, अंकुर बिष्ट सहित अन्य गणमान्य लोग उपस्थित रहे।

Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Most Popular

CWN उत्तराखंड समेत देश और दुनिया भर के नवीनतम समाचारों का डिजिटल माध्यम है। अपने विचार या समाचार प्रसारित करने के लिए हमसे संपर्क करें। धन्यवाद

[email protected]

संपर्क करें –

ईमेल: [email protected]

Select Language

© 2023, CWN (City Web News)
Get latest Uttarakhand News updates
Website Developed & Maintained by Naresh Singh Rana
(⌐■_■) Call/WhatsApp 7456891860

To Top
English हिन्दी