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हरिद्वार में महिला काव्य मंच का वार्षिकोत्सव: ‘ब्रह्म कमल से कम नहीं बुरांश’, 40+ कवयित्रियों ने किया काव्य पाठ

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साहित्य की अंतर्राष्ट्रीय संस्था महिला काव्य मंच (मकाम) का राज्य स्तरीय वार्षिकोत्सव हरिद्वार में भव्यता से संपन्न हुआ। 40 से अधिक कवयित्रियों ने काव्य पाठ कर महिला सशक्तिकरण का संदेश दिया। पढ़ें पूरी रिपोर्ट।

हरिद्वार: साहित्य की अंतर्राष्ट्रीय संस्था महिला काव्य मंच (मकाम) का बहुप्रतीक्षित राज्य स्तरीय वार्षिकोत्सव हरिद्वार के शिवालिक नगर स्थित एस. आर. ग्रैंड होटल में भव्यता और गरिमा के साथ संपन्न हुआ। इस विशेष कार्यक्रम में समूचे उत्तराखंड से चालीस से भी अधिक प्रतिनिधि कवयित्रियों ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। इन कवयित्रियों ने तीन अलग-अलग सत्रों में अपनी साहित्यिक विधाओं में काव्य पाठ प्रस्तुत किया, जिसने श्रोताओं की पुरज़ोर तालियाँ बटोरीं और खूब वाहवाही लूटी। इस आयोजन ने एक बार फिर महिला सशक्तिकरण की दिशा में संस्था के अनुकरणीय प्रयासों को दर्शाया।

वरिष्ठ हस्तियों की उपस्थिति और सफल संयोजन
कार्यक्रम का सफल संयोजन और संचालन हरिद्वार की प्रतिष्ठित कवयित्री एवं संस्था की स्थानीय इकाई की अध्यक्षा राजकुमारी ‘राजेश्वरी’ ने किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता राष्ट्रीय महासचिव श्रीमती सीमा शर्मा ने की, जबकि मकाम ट्रस्ट के अध्यक्ष नियति भारद्वाज मुख्य अतिथि और डॉ. मंजू श्रीवास्तव विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित रहीं। संस्था के संस्थापक डॉ. नरेश ‘राज़’ की उपस्थिति ने भी कार्यक्रम की गरिमा बढ़ाई। (महिला काव्य मंच हरिद्वार इकाई प्रतिमाह एक कार्यक्रम आयोजित करती है)। जिला अध्यक्ष राजकुमारी ‘राजेश्वरी’ ने इस बात पर जोर दिया कि यह एक अनोखी साहित्यिक संस्था है, जहाँ संगठन, आयोजन, और प्रबंधन में केवल मात्रशक्ति ही शामिल होती है।

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काव्य पाठ: प्रकृति, प्रेम और भक्ति का संगम
माँ सरस्वती के सम्मुख दीप प्रज्वलन और राजकुमारी की वाणी वंदना के साथ कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ। विभिन्न रसों और छंदों में हुए काव्य पाठ में कवयित्रियों ने अपनी भावनाओं को पिरोया। नीता नय्यर ‘निष्ठा’ ने अपनी पंक्तियों – ‘सुनो बुरांश तुम कम कहाँ हो सुंदरता में कम ब्रह्म कमल से’ के माध्यम से उत्तराखंड की शान बुरांश की शान बखानी। देहरादून अध्यक्ष डॉ. ऊषा झा ‘रेणु’ ने ‘धाम रघुवर आ गए…’ से प्रभु राम को नमन किया, तो सीमा शर्मा ने समाज में बढ़ते ‘पाप के दौर’ पर शिकायत दर्ज की। कवयित्री आशा साहनी ने प्रेम को गज़ल का रूप दिया, वहीं डॉ. विद्या सिंह, डॉ. मंजू श्रीवास्तव और डॉ. नरेश नाज़ सहित अन्य कवियित्रियों ने प्रेम, माँ, और प्रेरणादायक विषयों पर रचनाएं सुनाकर सबका मन मोह लिया।

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नारी शक्ति ने छोड़ी अमिट छाप
कार्यक्रम में मीनाक्षी चावला, डॉ. पुष्प लता ‘पुष्पांजलि’, महेश्वरी कनेरी, निशा अतुल, करुणा अथैया ‘किरण’ और डॉ. रजनी रंजना जैसी कवयित्रियों ने अपनी रचनाओं से उपस्थित श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। नीलम प्रभा ने रंग में भीगी पलकों पर सवाल किया, तो इंद्रा तिवारी ने बेटियों का महिमा मंडन किया, कहा कि ‘जिस घर होती बेटियाँ वो जन्नत कहलाता है’। कार्यक्रम में प्रदेश उपाध्यक्ष निशा अतुल्य, आशा साहनी, कुसुम पंत ‘उत्साही’, आशा रावत, ममता चंद्रा और अन्य कवयित्रियों ने भी सराहनीय योगदान दिया और अपनी रचनाओं का सस्वर पाठ किया। यह वार्षिकोत्सव उत्तराखंड की महिला साहित्यकारों के लिए एक महत्वपूर्ण मंच साबित हुआ।

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संपादक: गुलाब सिंह
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