अल्मोड़ा/बागेश्वर/चंपावत/पिथौरागढ़
काश्तकारों की चिंता : वैज्ञानिक शोध नहीं पहुँच पा रहे पहाड़ों के खेतों तक
अल्मोड़ा। आज चनोली गांव में पर्वतीय कृषि रक्षा समिति की बैठक आयोजित की गई, जिसमें किसानों ने अपनी प्रमुख समस्याओं को खुलकर सामने रखा। बैठक में यह गंभीर मुद्दा उठाया गया कि सरकार और कृषि वैज्ञानिकों द्वारा किए जा रहे शोध व तकनीकी विकास पर्वतीय क्षेत्रों के किसानों तक नहीं पहुँच पा रहे हैं। वक्ताओं ने कहा कि सरकार की कृषि योजनाएँ मुख्यतः मैदानी इलाकों के हिसाब से बनाई जाती हैं, जबकि पर्वतीय परिस्थितियों में उनकी उपयोगिता सीमित रहती है।
बैठक में जंगली और आवारा जानवरों से फसलों की सुरक्षा को सबसे बड़ी चुनौती बताया गया। किसानों ने कहा कि कुरी, बांस पांसा और गाजर घास जैसी खरपतवारों के उन्मूलन के बिना कृषि उत्पादन बढ़ाना संभव नहीं है। इस पर सरकार से ठोस कदम उठाने की मांग की गई। चनोली गांव के अग्यारा और चौना तोक क्षेत्रों में घेरबाड़ की विशेष आवश्यकता बताई गई। ग्रामीणों का कहना था कि इन तोकों की भूमि अत्यंत उपजाऊ है, लेकिन जंगली जानवरों के कारण यहां खेती लगभग बंद हो चुकी है।
बैठक में बुनियादी ढांचे की कमी पर भी चर्चा हुई। मनिआगर–नगरखान मोटर मार्ग के शीघ्र डामरीकरण की मांग करते हुए ग्रामीणों ने कहा कि सड़क सुविधा के अभाव में खेती और बाजार से जुड़ाव दोनों प्रभावित हो रहे हैं। इसके अलावा गांव में नशे की बढ़ती समस्या को भी गंभीरता से उठाया गया। ग्रामवासियों ने बताया कि उन्होंने आपसी सहयोग से अवैध शराब की बिक्री पर रोक लगा रखी है, लेकिन इस पर प्रभावी नियंत्रण के लिए सरकार को ठोस कार्रवाई करनी चाहिए।
बैठक में ब्रह्मानन्द डालाकोटी, हरीश डालाकोटी, के डी मिश्रा, पूरन सिंह, गंगा सिंह, बिशन सिंह, राजेन्द्र सिंह, भूपाल राम, उमेश सिंह, बसंत सिंह, ललित सिंह सहित अनेक ग्रामीण मौजूद रहे। सभी ने एक स्वर में कहा कि पर्वतीय किसानों की समस्याओं को ध्यान में रखते हुए कृषि योजनाएँ तैयार की जाएं, तभी खेती को बचाया और गांवों में रोजगार को सुदृढ़ किया जा सकेगा।
