अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने इस संबंध में निर्देश देने के साथ ही जिलाधिकारियों से भू-कानून पर सुझाव मांगे
देहरादून। सभी जिलाधिकारी पिछले 10 वर्षों में उनके स्तर से कृषि एवं औद्यानिकी के लिए दी गई भूमि की अनुमति का विवरण राजस्व विभाग को भेजेंगे। अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने इस संबंध में निर्देश देने के साथ ही जिलाधिकारियों से भू-कानून पर सुझाव भी मांगे हैं।
सचिवालय में गुरुवार को अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी की अध्यक्षता में भू कानून से संबंधित प्रारूप समिति की बैठक हुई। उन्होंने कहा कि प्रस्तावित भू कानून का उद्देश्य उत्तराखंड के मूल निवासियों के हितों का संरक्षण और उन्हें न्याय दिलाना है। साथ ही इस कानून का लक्ष्य प्रदेश में निवेश एवं रोजगार सृजित करने वाले विश्वसनीय निवेशकों को प्रोत्साहित करना और निवेश की प्रक्रिया सरल बनाना भी है।
अपर मुख्य सचिव ने जिलाधिकारियों को यह भी स्पष्ट किया कि कृषि एवं औद्यानिकी के लिए भूमि की अनुमति पर अस्थायी रोक लगाने के पीछे भूमि का दुरुपयोग रोकना व भू कानून को तर्कसंगत व न्यायपूर्ण बनाना मुख्य कारण हैं। इससे औद्योगिक गतिविधियां एवं निवेश हतोत्साहित नहीं होना चाहिए। निवेशकों में इस आदेश को लेकर फैली भ्रांतियों और संशय को विभिन्न माध्यम से तत्काल दूर किया जाए। उन्होंने निर्देश दिए कि राज्य में निवेश के आवेदकों का सत्यापन संबंधित विभाग पूरी तत्परता से सुनिश्चित करें।
निवेशकों की विश्वसनीयता की जांच के साथ ही पूरी व्यवस्था के माध्यम से निवेश की प्रक्रिया को सरल किया जाना आवश्यक है, ताकि अधिक से अधिक निवेशक राज्य में उद्यम स्थापित करने एवं रोजगार सृजन को प्रोत्साहित हो सकें। बैठक में डीजीपी अभिनव कुमार, सचिव आर मीनाक्षी सुंदरम, विनय शंकर पांडेय, दीपेंद्र कुमार चौधरी और वर्चुअल माध्यम से सभी जिलाधिकारी व अन्य विभागीय अधिकारी उपस्थित रहे।
सरकार ने सभी जिलों के डीएम से मांगा 10 वर्षों में उनके स्तर से कृषि एवं औद्यानिकी के लिए दी गई भूमि की अनुमति का विवरण
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