चंद पलों का सुख दे करके
जीवन भर की पीर लिखी है,
टेढ़ी-मेढ़ी,आड़ी-तिरछी
कैसी अमिट लकीर लिखी है,
छीन पिता का साया उर में
अकथ वेदना चीर लिखी है,
खाली हाथों में हे ईश्वर
कैसी ये तकदीर लिखी है।
इस जीवन में पुनः मिलेंगे
दिखती ऐसी आस नहीं है,
बिना आपके सब सूना है
दुनिया आती रास नहीं है,
दु:ख की बारिश हमें सताने
अक्सर घर में आ जाती है,
जान गई है वो भी पापा
इनके सिर आकाश नहीं है।
देवेश द्विवेदी ‘देवेश’