कल तक जो लगती थी
ख्वाबों की दुनिया,
सवालों की दुनिया,
जवाबों की दुनिया,
वही आज हर पल है
मुझको लुभाती,
कागज़-कलम और
किताबों की दुनिया।
देवेश द्विवेदी ‘देवेश’
कल तक जो लगती थी
ख्वाबों की दुनिया,
सवालों की दुनिया,
जवाबों की दुनिया,
वही आज हर पल है
मुझको लुभाती,
कागज़-कलम और
किताबों की दुनिया।
देवेश द्विवेदी ‘देवेश’