महायज्ञ में सैकड़ों की संख्या में प्रवासी भारतीयों एवं कनाडा के मूल निवासी युवाओं ने भाग लिया
हरिद्वार। अखिल विश्व गायत्री परिवार भारतीय संस्कृति के विस्तार हेतु सक्रियता के साथ जुटा है। भारत सहित विश्व के कई देशों में विभिन्न यज्ञीय आयोजनों, संगोष्ठियों, सेमिनार के माध्यम से स्थानीय एवं प्रवासी भारतीयों को भारतीय संस्कृति की ओर आकर्षित कर रहा है। शांतिकुंज प्रतिनिधियों ने कनाडा के प्रसिद्ध शहर मांट्रियल में 108 कुण्डीय गायत्री महायज्ञ सफलतापूर्वक सम्पन्न कराया।
ज्ञात हो कि अखिल विश्व गायत्री परिवार प्रमुखद्वय श्रद्धेय डॉ. प्रणव पण्ड्या एवं श्रद्धेया शैलदीदी की गरिमामयी उपस्थिति में हुए अश्वमेध गायत्री महायज्ञ की रजत जयंती वर्ष के अवसर पर इस महायज्ञ का आयोजन हुआ।
युवा आइकान एवं देवसंस्कृति विवि के प्रतिकुलपति डॉ. चिन्मय पण्ड्या के नेतृत्व में पहुंची शांतिकुंज टीम ने महायज्ञ का संचालन किया। महायज्ञ में सैकड़ों की संख्या में प्रवासी भारतीयों एवं कनाडा के मूल निवासी युवाओं ने भाग लिया। सभी ने यज्ञ के ज्ञान और विज्ञान एवं भारतीय संस्कृति के बारे में जानकर प्रसन्नता व्यक्त की। इस अवसर पर डॉ चिन्मय पण्ड्या ने कहा कि यज्ञ देवपूजन, दान और संगतिकरण का समुच्चय का नाम है। यज्ञ की ऐसी सुन्दर व्याख्या अनेक परिजनों ने पहली बार जाना। युवा आइकान ने गायत्री परिवार के प्रणेता परम पूज्य पं. श्रीराम शर्मा आचार्य के विचारों को व्यक्त करते हुए कहा कि उदारता, सहनशीलता, परस्पर प्यार और सहकार के बल पर ही मनुष्य में देवत्व और धरती पर स्वर्ग का संचार हो सकता है। आज मनुष्यों को यज्ञीय भाव से जीवन जीने की महती आवश्यकता है।
108 कुण्डीय गायत्री महायज्ञ की पूर्णाहुति के साथ आवाहित देवताओं को विदाई दी गयी। इस अवसर पर उत्साही युवाओं के अलावा अनेक गणमान्य नागरिक भी उपस्थित रहे। इसके साथ ही उन्होंने अनेक घरों में वैदिक कर्मकाण्ड के साथ भारतीय संस्कृति के प्रतीक देवस्थापना का चित्र स्थापित कराया। शांतिकुंज टीम में प्रो प्रमोद भटनागर, ओंकार पाटीदार, संतोष कुमार, हरिप्रसाद चौधरी, कामेश्वर दास आदि शामिल हैं।