12 मित्र देशों के 29 विदेशी कैडेट भी पास आउट हुए, श्रीलंका के सीडीएस जनरल सिल्वा ने ली परेड की सलामी
देहरादून। भारतीय सैन्य अकादमी में शनिवार को अंतिम पग भरते ही 343 नौजवान भारतीय सेना का हिस्सा बन गए। इनके साथ 12 मित्र देशों के 29 विदेशी कैडेट भी पास आउट हुए। श्रीलंका के चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल शैवेंद्र सिल्वा ने पासिंग आउट परेड की सलामी ली।
शनिवार सुबह आठ बजकर 52 मिनट पर मार्कर्स काल के साथ परेड शुरू हुई। युवा सैन्य अधिकारी जब अंतिम पग भर रहे थे तो हेलिकॉप्टरों के जरिये उन पर पुष्प वर्षा हो रही थी। निरीक्षण अधिकारी जनरल शैवेंद्र सिल्वा ने श्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले जेंटलमैन कैडेट को विभिन्न पुरस्कार प्रदान किए।
निरीक्षण अधिकारी जनरल शैवेंद्र सिल्वा ने कहा कि सैन्य अधिकारी बनना मातृभूमि और उसके लोगों के प्रति गहरी प्रतिबद्धता का प्रतीक है। एक अधिकारी बनने की राह चुनौतीपूर्ण है और उससे भी अधिक चुनौतीपूर्ण है अपेक्षित आचरण बनाए रखना। उम्मीद है कि आप जिम्मेदारी के साथ कर्तव्यों का निर्वहन करेंगे।
उन्होंने कहा कि भारतीय सेना ने खून और पसीना बहाकर देश-विदेश में सम्मान अर्जित किया है। इस दौरान सेना की पश्चिमी कमान के जनरल आफिसर कमां¨डग इन चीफ ले. जनरल मनोज कुमार कटियार, अकादमी के कमांडेंट ले. जनरल वीके मिश्रा, डिप्टी कमांडेंट मेजर जनरल आलोक जोशी समेत देश-विदेश की सेना के वरिष्ठ अधिकारी, गणमान्य व्यक्ति व कैडेट के स्वजन उपस्थित रहे।
पासिंग आउट परेड के सितारेस्वार्ड ऑफ आनर- गौरव यादव, अलवर (राजस्थान)गोल्ड मेडल- गौरव यादव, अलवर (राजस्थान)सिल्वर मेडल- सौरभ बधानी, ग्वालदम चमोली (उत्तराखंड)ब्रांज मेडल- आलोक ¨सह, नौबस्ता (कानपुर)सिल्वर टीजी- अजय पंत, अल्मोड़ा (उत्तराखंड)बांग्लादेश मेडल- शैलेश भट्टा, नेपालचीफ आफ आर्मी स्टाफ बैनर- कोहिमा कंपनी
गौरव ने आइआइटी नहीं सेना को दी तरजीह
राजस्थान के अलवर के गौरव यादव हर किसी की आंख का तारा बन गए। किसान परिवार में जन्मे इस युवा ने प्रतिष्ठित स्वार्ड आफ आनर के साथ ही गोल्ड मेडल भी प्राप्त किया है। जेईई में चयन के बाद भी गौरव ने सेना को तरजीह दी, क्योंकि सेना में करियर संवारना बचपन का सपना था। उनके पिता बलवंत सिंह यादव किसान हैं और मां कमलेश यादव गृहिणी।
गौरव की प्रारंभिक शिक्षा रेवाड़ी (हरियाणा) स्थित केरला पब्लिक स्कूल में हुई। बड़े भाई विनीत कुमार सेना में नायक के पद पर हैं। गौरव का चयन जेईई में हो गया था, लेकिन सेना में जाने के लिए स्वजन को नहीं बताया और दिल्ली के एक कोचिंग संस्थान में प्रवेश लेकर एनडीए की तैयारी शुरू कर दी। एनडीए में प्रेसीडेंट गोल्ड मेडल हासिल करने के बाद उन्होंने आइएमए में भी कामयाबी का झंडा गाड़ा है। गौरव ने बताया कि मैं कमरे की दीवार के सामने खड़ा होता और सोचता था कि एसएसबी पैनल को साक्षात्कार देकर उनके प्रश्नों का उत्तर दे रहा हूं।
आलोक ने तय किया सिपाही से अफसर तक का सफर
आर्डर आफ मेरिट में तीसरा स्थान प्राप्त करने पर आलोक सिंह को ब्रांज मेडल मिला है। वह कानपुर में नौबस्ता के रहने वाले हैं। पिता कल्याण ¨सह सेना से सूबेदार मेजर के पद से सेवानिवृत्त हैं। मां का कुछ वर्ष पहले निधन हो गया। आलोक 2014 में सेना में भर्ती हुए थे। इसके बाद एसीसी (आर्मी कैडेट कालेज) के माध्यम से अफसर बनने का अवसर मिला।
अजय ने कॉरपोरेट छोड़ सेना को चुना
उत्तराखंड के अल्मोड़ा निवासी अजय पंत को टेक्निकल ग्रेजुएट कोर्स में सिल्वर मेडल मिला है। उनके पिता शिव प्रकाश पंत सेना से बतौर सूबेदार सेवानिवृत्त हुए, जबकि मां दामिनी देवी गृहिणी हैं। अजय ने कंप्यूटर साइंस से बीटेक किया और फिर डेढ़ साल तक ग्लोबल लाजिक में नौकरी भी की। लेकिन, कारपोरेट के बजाय उन्होंने सेना को तरजीह दी।
भारतीय सेना का हिस्सा बने आईएमए के 343 कैडेट
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