उत्तराखण्ड
उत्तराखंड में सख्त भू-कानून लागू: बाहरी लोगों के लिए जमीन खरीदना हुआ मुश्किल
देहरादून: उत्तराखंड सरकार ने बहुप्रतीक्षित भू-कानून संशोधन विधेयक को मंजूरी दे दी है। इस नए कानून के तहत, राज्य के 11 जिलों में बाहरी लोगों के लिए कृषि और उद्यान की जमीन खरीदना मुश्किल हो जाएगा।
प्रमुख बिंदु:
- 11 जिलों में रोक: हरिद्वार और ऊधमसिंह नगर को छोड़कर, बाकी सभी जिलों में बाहरी लोग कृषि और उद्यान के लिए जमीन नहीं खरीद सकेंगे।
- डेमोग्राफिक बदलाव रोकने का प्रयास: सरकार ने यह कदम पहाड़ों पर बाहरी लोगों के तेजी से जमीन खरीदने और डेमोग्राफिक बदलाव को रोकने के लिए उठाया है।
- जिलाधिकारियों के अधिकार समाप्त: बाहरी लोगों को अभी तक जिलाधिकारी स्तर से जमीन खरीद की आसानी से मंजूरी मिल रही थी। इस व्यवस्था को भी समाप्त कर दिया गया है। अब मंजूरी के लिए प्रस्ताव शासन को भेजना होगा।
- सशक्त भू-कानून: सरकार ने सशक्त भू-कानून को मंजूरी दे दी है, जिससे जमीन खरीद प्रक्रिया पर शिकंजा कसा जा सकेगा।
- पहले थी आसान प्रक्रिया: अभी तक उत्तराखंड में बाहर के लोग बिना मंजूरी 250 वर्ग मीटर और मंजूरी लेकर साढ़े 12 एकड़ से भी अधिक जमीन कृषि, उद्यान के लिए खरीद सकते थे।
क्यों लिया गया यह फैसला?
बाहरी लोगों के बढ़ते दबाव के चलते राज्य में सख्त भू-कानून की मांग उठने लगी थी। पहले बाहरी लोगों ने पर्वतीय क्षेत्रों में निजी फॉरेस्ट तक खरीद लिए थे, जिससे स्थानीय लोगों के हितों को खतरा पैदा हो गया था। सरकार के इस कदम से भविष्य में इस पर रोक लगने की पूरी उम्मीद है।
इस कानून के फायदे: - पहाड़ी क्षेत्रों में भूमि का बेहतर प्रबंधन हो सकेगा।
- राज्य के मूल निवासियों को जमीन खरीदने में सहूलियत होगी।
- जमीन की कीमतों में अप्राकृतिक बढ़ोतरी पर नियंत्रण रहेगा।
- राज्य में डेमोग्राफिक बदलाव को रोकने में मदद मिलेगी।
यह कानून उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों के लिए एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है।
