नैनीताल
रामनगर अस्पताल में शव को ई-रिक्शा से ले जाने पर मचा हड़कंप, स्वास्थ्य सचिव ने तीन सदस्यीय जांच समिति गठित की
देहरादून: रामनगर उप जिला अस्पताल में एक शव को ई-रिक्शा से मोर्चरी तक ले जाने की घटना ने पूरे स्वास्थ्य महकमे को झकझोर दिया है। इस अमानवीय कृत्य को लेकर स्वास्थ्य विभाग ने तत्काल सख्त रुख अपनाया है। सचिव स्वास्थ्य डॉ. आर राजेश कुमार ने इस घटना को बेहद निंदनीय बताते हुए स्पष्ट किया कि भविष्य में इस प्रकार की लापरवाही को किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
स्वास्थ्य सचिव ने मामले की गंभीरता को देखते हुए तीन सदस्यीय उच्च स्तरीय जांच समिति का गठन किया है। समिति की अध्यक्षता चिकित्सा स्वास्थ्य महानिदेशक करेंगे, जबकि अन्य दो सदस्य निदेशक प्रशासन और निदेशक स्वास्थ्य कुमाऊं मंडल होंगे। इस समिति को 30 मई तक जांच रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिए गए हैं।
स्वास्थ्य सचिव ने नैनीताल के मुख्य चिकित्सा अधिकारी और रामनगर उप जिला अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक से भी 26 मई तक विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। उन्होंने स्पष्ट निर्देश दिए कि जांच में यह तथ्य सामने लाया जाए कि उप जिला अस्पताल में शव वाहन अथवा एंबुलेंस की सुविधा क्यों उपलब्ध नहीं थी।
इस मामले को “हिन्दुस्तान” अखबार ने प्रमुखता से उठाया था, जिसके बाद शासन स्तर पर कार्रवाई तेज की गई। सचिव स्वास्थ्य ने कहा कि घटना में जो भी अधिकारी या कर्मचारी दोषी पाया जाएगा, उसके खिलाफ सख्त अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी।
डॉ. आर राजेश कुमार ने राज्य के सभी जिलों के मुख्य चिकित्सा अधिकारियों को विशेष निर्देश जारी किए हैं। निर्देशों में कहा गया है कि सभी जिलों में यह सुनिश्चित किया जाए कि अस्पतालों में शव वाहन की समुचित व्यवस्था हो, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।
स्वास्थ्य सचिव ने दो टूक कहा कि विभाग की जिम्मेदारी केवल मरीजों के इलाज तक सीमित नहीं है, बल्कि अंतिम यात्रा की गरिमा बनाए रखना भी हमारी नैतिक और प्रशासनिक जिम्मेदारी है। इस दिशा में किसी भी तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
