देहरादून
मौण मेला: ग्रामीणों ने समूह बनाकर पकड़ी हजारों मछलियां
मसूरी। रविवार को जौनपुर ब्लॉक में मौण मेले का भव्य शुभारंभ ढोल, दमाऊं और रणसिंघा की पारंपरिक धुनों के साथ हुआ। भारी बारिश के बावजूद, पट्टी छजुला, आठ जुला, शिलगांव जुलाई, लालूर, जौनसार, उत्तरकाशी, मसूरी और आसपास के कुल 114 गांवों से हजारों की संख्या में लोगों ने मेले में शिरकत की।
इस अवसर पर, पारंपरिक तांदी नृत्य का आयोजन किया गया, जिसमें लोगों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। मेले में उमड़ी भारी भीड़ के कारण सड़कों पर जाम लग गया, जिससे लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा।
मेले की शुरुआत सुबह 10 बजे अगलाड़ नदी में पूजा-अर्चना के साथ हुई, जिसके बाद नदी में टिमरू का पाउडर डाला गया। पाउडर डालने के बाद, बच्चे, युवा और बुजुर्ग सभी मछली पकड़ने के लिए नदी में उतर गए। जौनपुर में मौण मेले की एक अनूठी और पुरानी परंपरा है। टिहरी नरेश नरेंद्र शाह ने 1811 में स्वयं अगलाड़ नदी में मौण डाला था, और तभी से इस मेले का आयोजन किया जाता है।
इस साल, टिमरू की पत्तियों का पाउडर बनाने की जिम्मेदारी पाती क्षेत्र के 16 गांवों को सौंपी गई थी, जिनमें बंगलो की काडी सेजी, कांडीखाल, भटोली, बनोगी, गांवखेत, भेडीयाना्र, घड़ियाला और सरतली कसोन पाली जैसे गांव शामिल थे।
इस पारंपरिक मेले में स्थानीय ग्रामीणों के अलावा बड़ी संख्या में पर्यटक भी पहुंचे। मेले में आए लोगों ने एक-दूसरे को टिमरू के पाउडर का टीका लगाकर मौण मेले की बधाई दी। महिपाल रावत, सुभाष, सुरेंद्र और विजेंद्र पंवार ने बताया कि यह एक पुरानी परंपरा है। गौरतलब है कि पहले अगलाड़ नदी में चार मौण मेले होते थे, जिनमें से अब तीन इतिहास बन चुके हैं। यह मेला जौनपुर की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को दर्शाता है और क्षेत्र के लोगों के लिए एक महत्वपूर्ण आयोजन है।
