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हल्द्वानी

हल्द्वानी: STH में अज्ञात बंगाली महिला लावारिस, टूटी छत के नीचे इलाज! डॉक्टरों को फटकार

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सुशीला तिवारी अस्पताल (STH) में बड़ी लापरवाही! इमरजेंसी में अज्ञात बंगाली महिला टूटी फॉल्स सीलिंग के नीचे भर्ती। बिना रिकॉर्ड लाए एम्बुलेंस चालक फरार। चिकित्साधीक्षक ने डॉक्टरों को लगाई फटकार, दिए वार्ड दुरुस्त करने के निर्देश।

हल्द्वानी: हल्द्वानी के सुशीला तिवारी राजकीय चिकित्सालय (एसटीएच) में एक बड़ी प्रशासनिक और मानवीय लापरवाही का मामला सामने आया है। अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड के एक मरम्मत-अधीन कक्ष में पिछले दो दिनों से एक अज्ञात महिला को भर्ती किया गया था। हैरानी की बात यह है कि इस महिला के बेड के ठीक ऊपर फॉल्स सीलिंग टूटकर लटक रही थी, जिससे उसकी जान को भी खतरा हो सकता था। इस गंभीर स्वास्थ्य लापरवाही ने अस्पताल प्रबंधन के दावों पर सवाल खड़े कर दिए हैं।


अकेली, बीमार महिला बंगाली भाषा में अपना दर्द बयां कर रही थी। हालांकि, कोई उसकी भाषा नहीं समझ पा रहा था, लेकिन उसकी तकलीफ साफ दिखाई दे रही थी। वार्ड इंचार्ज कुलतारा ने बताया कि एक एम्बुलेंस चालक महिला को छोड़कर चला गया था। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि जब चालक और महिला के संबंध में रिकॉर्ड खंगाला गया, तो रजिस्टर में कोई जानकारी दर्ज नहीं थी। इंचार्ज ने तर्क दिया कि अस्पताल में आने वाले अज्ञात मरीजों का रिकॉर्ड रजिस्टर में दर्ज नहीं किया जाता है, जो अपने आप में नियमों का बड़ा उल्लंघन है।
पूछताछ करने पर महिला ने बंगाली भाषा में अपना नाम ‘गीता धारा’ बताया। मामला सामने आने और मीडिया तक बात पहुँचने के बाद चिकित्साधीक्षक (CMS) डॉ. अरुण जोशी हरकत में आए। उन्होंने तुरंत इमरजेंसी वार्ड का दौरा किया और खुद महिला को भर्ती करवाया। इस गंभीर चूक पर उन्होंने ड्यूटी पर मौजूद डॉक्टरों को कड़ी फटकार लगाई। उन्होंने तुरंत उस अंडर-रिपेयरिंग वार्ड को दुरुस्त करने और मरीज के सुरक्षित इलाज के लिए आवश्यक निर्देश जारी किए।
यह घटना दर्शाती है कि उत्तराखंड के सबसे बड़े सरकारी अस्पतालों में से एक, सुशीला तिवारी अस्पताल में मूलभूत सुविधाओं और प्रोटोकॉल की कितनी कमी है। अज्ञात और असहाय मरीजों के प्रति ऐसी संवेदनहीनता बेहद चिंताजनक है। अस्पताल प्रशासन को न केवल महिला के इलाज पर ध्यान देना चाहिए, बल्कि भविष्य में ऐसी मानवीय लापरवाही को रोकने के लिए अज्ञात मरीजों के प्रवेश और देखभाल के लिए स्पष्ट और कड़े नियम बनाने चाहिए। हर मरीज का रिकॉर्ड रखना अनिवार्य है, चाहे वह अज्ञात ही क्यों न हो।

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संपादक: गुलाब सिंह
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