आसमानों के सितारे,जब जमीं पर आ गये।
जुल्म के काले सभी,साये फिर घबरा गए।
अब न रहेगा इस जहाँ में,किसी अंधियारे का राज ।
पानी से फिर सभी, दीप हैं जगमगा गये।
डॉ. कल्पना कुशवाहा ‘ सुभाषिनी ‘
आसमानों के सितारे,जब जमीं पर आ गये।
जुल्म के काले सभी,साये फिर घबरा गए।
अब न रहेगा इस जहाँ में,किसी अंधियारे का राज ।
पानी से फिर सभी, दीप हैं जगमगा गये।
डॉ. कल्पना कुशवाहा ‘ सुभाषिनी ‘