उत्तराखण्ड
नैनीताल: समान नागरिक संहिता पर एक और याचिका, लिव-इन रजिस्ट्रेशन के सवालों पर आपत्ति
नैनीताल। समान नागरिक संहिता (यूसीसी) को लेकर उत्तराखंड हाईकोर्ट में एक और याचिका दायर की गई है। इस बार आपत्ति लिव-इन रिलेशनशिप रजिस्ट्रेशन को लेकर पूछे जाने वाले सवालों पर है। याचिकाकर्ता का कहना है कि रजिस्ट्रेशन फॉर्म में उनकी निजी जिंदगी से जुड़े ऐसे सवाल पूछे जा रहे हैं जिनका सार्वजनिक जीवन से कोई लेना-देना नहीं है।
मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति जी. नरेंदर और न्यायमूर्ति आशीष नैथानी की खंडपीठ ने इस मामले में राज्य सरकार से 21 फरवरी तक जवाब मांगा है। याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता राजू रामा चंद्रन ने पैरवी की।
याचिका में उठाए गए मुद्दे:
- निजी जानकारी का खुलासा: याचिकाकर्ता का कहना है कि फॉर्म में उनसे उनके पूर्व संबंधों, वैवाहिक स्थिति, विधवा होने और अन्य व्यक्तिगत घटनाओं के बारे में जानकारी मांगी गई है। उनका तर्क है कि यह जानकारी अनावश्यक है और उनकी निजता का उल्लंघन है।
- अनुचित सवाल: याचिकाकर्ता ने कुछ सवालों को अनुचित और अपमानजनक बताया है। उनका कहना है कि इस तरह के सवाल पूछने का कोई औचित्य नहीं है और इससे उनकी प्रतिष्ठा को ठेस पहुंच सकती है।
- निजता का अधिकार: याचिकाकर्ता का तर्क है कि लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वाले लोगों को भी निजता का अधिकार है। सरकार उनकी निजी जिंदगी में इस तरह से दखल नहीं दे सकती है।
कोर्ट का रुख:
हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से याचिकाकर्ता द्वारा उठाए गए मुद्दों पर जवाब मांगा है। कोर्ट ने कहा है कि सरकार को यह स्पष्ट करना होगा कि इस तरह की जानकारी क्यों मांगी जा रही है और इसका क्या औचित्य है। कोर्ट ने यह भी कहा है कि सरकार को यह सुनिश्चित करना होगा कि लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वाले लोगों की निजता का सम्मान किया जाए।
महत्व:
यह याचिका यूसीसी के तहत लिव-इन रिलेशनशिप के रजिस्ट्रेशन को लेकर कई महत्वपूर्ण सवाल खड़े करती है। इससे यह भी पता चलता है कि यूसीसी को लेकर लोगों में अभी भी कई तरह की आशंकाएं हैं। हाईकोर्ट का फैसला इस मामले में महत्वपूर्ण साबित हो सकता है।
