चमोली: उत्तराखंड के प्रसिद्ध तीर्थस्थल बदरीनाथ धाम के कपाट आज रविवार को शीतकाल के लिए विधि-विधान से बंद कर दिए गए। रात 9 बजकर 7 मिनट पर भगवान बदरीनाथ के कपाट बंद हुए। इस मौके पर हजारों श्रद्धालु मौजूद रहे।
इस साल 12 मई को शुरू हुई चारधाम यात्रा आज अपने समापन पर पहुंच गई। 190 दिनों तक चली इस यात्रा में 14 लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने भगवान बदरीनाथ के दर्शन किए। मंदिर को 15 क्विंटल फूलों से सजाया गया था।
दिनभर मंदिर में भक्तों का तांता लगा रहा। सुबह से ही भक्तों ने भगवान बदरीनाथ के दर्शन किए। शाम को विशेष पूजा-अर्चना के बाद रावल अमरनाथ नंबूदरी ने स्त्री वेष धारण कर लक्ष्मी माता को मंदिर में प्रवेश कराया। इसके बाद उद्धव जी और कुबेर जी की प्रतिमा को गर्भगृह से बाहर लाया गया।
रात 9 बजकर 7 मिनट पर कपाट बंद होने से पहले भगवान बदरीनाथ को घृत कंबल ओढ़ाया गया और अखंड ज्योति जलाई गई। कपाट बंद होने के बाद धाम जय बदरीविशाल के उद्घोष से गूंज उठा।
बदरीनाथ धाम के रावल, धर्माधिकारी, वेदपाठी और बदरीनाथ के हक-हकूकधारियों के साथ उद्धव व कुबेर की उत्सव डोली तथा आदि गुरु शंकराचार्य की गद्दी सोमवार को सुबह पांडुकेश्वर के योग बदरी मंदिर के लिए प्रस्थान करेगी।
महत्वपूर्ण तथ्य:
- बदरीनाथ धाम के कपाट 17 नवंबर को रात 9:07 बजे बंद हुए।
- 190 दिनों तक चली चारधाम यात्रा में 14 लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने दर्शन किए।
- मंदिर को 15 क्विंटल फूलों से सजाया गया था।
- रावल अमरनाथ नंबूदरी ने स्त्री वेष धारण कर लक्ष्मी माता को मंदिर में प्रवेश कराया।
- उद्धव जी और कुबेर जी की प्रतिमा को गर्भगृह से बाहर लाया गया।
- अगले साल अप्रैल-मई में बदरीनाथ धाम के कपाट फिर से खोले जाएंगे।
यह यात्रा उत्तराखंड के लिए आर्थिक रूप से भी महत्वपूर्ण होती है। लाखों श्रद्धालुओं के आने से स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलता है।