उत्तराखण्ड
मुख्यमंत्री धामी ने की ‘पर्वतीय विमानन नीति’ की मांग, कहा– हेली सेवाएं बन चुकी हैं जीवन रेखा
देहरादून। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शुक्रवार को देहरादून में आयोजित नागर विमानन सम्मेलन–उत्तरी क्षेत्र 2025 के मंच से पर्वतीय राज्यों के लिए पृथक ‘पर्वतीय विमानन नीति’ बनाए जाने की पुरजोर मांग की। मुख्यमंत्री ने कहा कि पर्वतीय राज्यों की भौगोलिक परिस्थितियां देश के अन्य भागों से पूरी तरह भिन्न हैं, इसलिए उनके लिए विशेष नीति बनाना अत्यंत आवश्यक है। इस नीति में हवाई सेवाओं के संचालन हेतु विशेष वित्तीय सहायता, सब्सिडी, सुदृढ़ एयर ट्रैफिक कंट्रोल (एटीसी) नेटवर्क, सटीक मौसम पूर्वानुमान प्रणाली, स्लॉटिंग और आपदा पूर्व तैयारी जैसे प्रावधान शामिल किए जाने चाहिए।
राजपुर रोड स्थित एक होटल में नागर विमानन मंत्रालय द्वारा आयोजित इस पहले राष्ट्रीय सम्मेलन में मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड जैसे पर्वतीय राज्यों में हेली सेवाएं केवल परिवहन का माध्यम नहीं, बल्कि जीवन रेखा बन चुकी हैं। चाहे आपदा प्रबंधन हो, स्वास्थ्य सेवाएं या धार्मिक यात्राएं—हेली सेवाओं ने हर क्षेत्र में अभूतपूर्व योगदान दिया है।
धामी ने यह भी कहा कि पर्वतीय उड़ानों के संचालन में मौसम और भौगोलिक परिस्थितियों की विशेष चुनौती होती है, इसलिए सभी ऑपरेटरों को सुरक्षा मानकों का कठोरता से पालन करना चाहिए। उन्होंने पर्वतीय उड़ानों के लिए विशेष पायलट प्रशिक्षण और उच्च स्तरीय सुरक्षा मानकों को अनिवार्य बनाने का अनुरोध किया।
मुख्यमंत्री ने केंद्र सरकार की ‘उड़ान योजना’ की भी सराहना करते हुए कहा कि इसने छोटे शहरों और दुर्गम क्षेत्रों को हवाई नेटवर्क से जोड़कर आम आदमी के लिए हवाई यात्रा को सुलभ बनाया है। उन्होंने बताया कि उत्तराखंड में 18 हेलीपोर्ट बनाए जा रहे हैं, जिनमें से 12 पर सेवाएं शुरू हो चुकी हैं।
