आईस संस्था का सात दिवसीय प्रशिक्षण शिविर संपन्न, नेशनल साइकिलिंग में स्वर्ण पदक विजेता अवनी का सम्मान
पिथौरागढ। साहसिक खेलों की अग्रणी संस्था इंट्रिसिक क्लाइंबर्स एण्ड एक्सप्लोरर्स (आईस) का सात दिवसीय प्रशिक्षण शिविर प्रमाणपत्र वितरण समारोह के साथ संपन्न हो गया। समारोह में राष्ट्रीय साइकिलिंग प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक हासिल कर गृह जनपद पहुंची अवनी दरियाल को स्मृतिचिन्ह भेंटकर सम्मानित किया गया।
स्थानीय पर्यटक आवास गृह में आयोजित एक समारोह में बारह प्रशिक्षणार्थियों को प्रमाण पत्र वितरित किए गए। इन्हें पिछले सात दिनों तक पर्वतारोहण, शिलारोहण रैपलिंग, जुमारिंग, रिवर क्रासिंग, सर्वाइवल टेक्नीक, प्राथमिक उपचार के साथ ही हिमालय, पर्तारोहण का इतिहास, टर्मिनोलोजी व विभिन्न प्रकार की गांठों का गहन अभ्यास कराया गया।
समारोह में मुख्य अतिथि उत्तराखंड पारंपरिक उत्थान समिति के अध्यक्ष राम सिंह ने कहा कि उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्र प्राकृतिक आपदा के दृष्टिकोण से अति संवेदनशील हैं। यह इलाका पर्यटन के क्षेत्र में भी अग्रणी भूमिका निभा सकता है, ऐसे में जरूरी है कि इस क्षेत्र में दक्षता हासिल कर रोजगार सृजन किया जा सकता है।
उन्होंने आईस संस्था द्वारा आपदा प्रबंधन और साहसिक खेलों को बढ़ावा देने के लिए पिछले दो दशक में किए गए कार्यों को प्रोत्साहित किए जाने की जरूरत पर बल दिया। विशिष्ट अतिथि ए क्लास कांट्रैक्टर सामाजिक कार्यकर्ता प्रकाश जोशी और दीवान सिंह मेहता ने आईस टीम द्वारा जरूरतमंदों को समय समय पर रक्तदान करने, नौजवानों को साहसिक खेलों से जोड़ने और प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिए व्यावहारिक प्रशिक्षण दिए जाने पर खुशी व्यक्त करते हुए हरसंभव सहयोग का आश्वासन दिया। आईस द्वारा अतिथियों और प्रशिक्षणार्थियों को स्मृतिचिन्ह भेंटकर सम्मानित किया गया।
इस दौरान प्रशिक्षण प्राप्त युवक युवतियों ने अपने अनुभव साझा किए और कहा कि इस प्रशिक्षण से उनके जीवन में अत्यंत सकारात्मक प्रभाव पड़ा है। समारोह में प्रशिक्षणार्थी भूमिका, जाह्नवी, निकिता, तनिष्क, नीरज, राज, स्वप्निल, मुकेश, कैलाश, शिवाशुं, पुष्कर आदि ने अपने अनुभव साझा किए। आईस के सचिव पर्वतारोही बासू पाण्डेय के साथ मुख्य प्रशिक्षक कविन्द्र चन्द, अभिषेक भण्डारी, गरिमा, अंजली, दीक्षा एवं लोकेश पवार ने प्रशिक्षण प्रदान किया। समारोह का संचालन आईस और मुस्कान सामाजिक उत्थान समिति के अध्यक्ष जगदीश कलौनी ने किया।